लोकसभा में शनिवार को भी संविधान पर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की बहस चल रही है. इस दौरान एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर राजनीति में दलितों और अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है. असदुद्दीन ओवैसी ने बाबा साहेब अंबेडकर के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने संविधान में अल्पसंख्यकों और दलितों के लिए वाजिब हक का प्रावधान रखा था. लेकिन बाद के दौर में सियासत में अल्पसंख्यकों को कितनी तरजीह दी गई, ये सबके सामने है. उन्होंने इस दौरान कहा कि आज धर्म परिवर्तन के अधिकार को खत्म किया जा रहा है. शायद बाबा साहेब होते तो उन्हें भी अनुमति लेनी होती.असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बाबा साहेब ने आज से पचहत्तर साल पहले जिस बात पर चिंता जाहिर की थी, वह समस्या आज तक बरकरार है. उन्होंने देश के राजनीतिक हालात को देखते हुए तभी कहा था कि कोई दल नहीं चाहता कि राजनीति में अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व बढ़े. ओवैसी ने कहा कि बाबा साहेब का वह कथन आज भी सच होता दिख रहा है.
चुनाव क्षेत्र की हदबंदी पर भी सवाल
असदुद्दीन ओवैसी ने पूरे मामले में संसद में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र की हदबंदी पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि संविधान लागू होने के बाद देश भर में हदबंदी जानबूझ कर कुछ इस तरह से की गई कि इसमें अल्पसंख्यकों को कम से कम मौका मिल सके. इस दौरान उन्होंने सच्चर कमेटी का भी जिक्र किया.
सच्चर कमेटी की सिफारिश की वकालत
असदुद्दीन ओवैसी ने इस दौरान राजनीति में मुसलमानों के प्रतिनिधित्व को लेकर सच्चर कमेटी की सिफारिश की भी वकालत की. उन्होंने सदन में सवाल उठाया कि आने वाले समय में जो जनगणना होगी, उसके बाद होने वाला परिसीमन भी सच्चर कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक होगा या जो 75 साल से चला आ रहा है, वही कायम रहेगा?असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि संविधान में जिस आर्टिकल 25, आर्टिकल 26, आर्टिकल 29, आर्टिकल 13, आर्टिकल 14 और आर्टिकल 21 का उल्लेख है, क्या उसका सही तरीके से पालन हुआ?मॉब लिंचिंग और धर्म परिवर्तन के मसले पर सवाल
ओवैसी ने इस दौरान स्कूल, कॉलेजों में मुस्लिम युवतियों को हिजाब पहनने से रोकने का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि आखिर किस संविधान के तहत रोका जा रहा है? उन्होंने खाने, पीने, पहनने पर होने वाली राजनीति पर हमला किया. उन्होंने कहा कि कई राज्यों में ऐसा देखा जा रहा है. ओवैसी ने इस दौरान मॉब लिंचिंग और धर्म परिवर्तन के कई मामलों को भी उठाया. इसी दौरान उन्होंने कहा कि बाबा साहेब आज होते तो क्या उन्हें भी अपना मजहब बदलने के लिए अनुमति लेनी होती?ओवैसी ने अपनी स्पीच में कुछ मस्जिदों के सर्वे से लेकर वक्फ बोर्ड विवाद पर भी अपनी बातें रखी. उन्होंने कहा कि आज अल्पसंख्यकों पर जबरन अपनी संस्कृति थोपी जा रही है.