कांग्रेस की मुश्किलें आयकर मामले में बढ़ती नजर आ रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य विपक्षी दल को विभिन्न न्यायिक निकायों से राहत मिलने के आसार कम हैं। न्यूज 18 ने सूत्रों के हवाले से बताया कि आयकर विभाग ने इस मामले में अदालतों में कई सबूत पेश किए हैं।इससे पता चलता है कि पार्टी को 2013-2019 के बीच 626 करोड़ रुपये की सीमा से अधिक नकद प्राप्त हुआ था। चुनावी प्रक्रिया में नकदी के व्यापक इस्तेमाल के कारण कांग्रेस ने 2018-19 में आयकर छूट खो दी थी। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि पार्टी से 135 करोड़ रुपये की कर वसूली आयकर कानून के प्रावधानों के अनुरूप है।विशेष रूप से अप्रैल 2019 में तलाशी अभियानों के दौरान आयकर विभाग ने जो आपत्तिजनक सामग्री जब्त की, उसके आधार पर चुनावी प्रक्रिया में नकदी के व्यापक उपयोग का पता चला। उन्होंने बताया कि ऐसे में पार्टी के आकलन को 7 वर्षों (2014-15 से 2020-21 तक) के लिए फिर से खोला गया था।रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस से इनकम टैक्स की कुल मांग 2,500 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। अप्रैल 2019 में आयकर को लेकर जो जांच हुई, उसी से यह जानकारी सामने आई। इस दौरान कांग्रेस ने मेघा इंजीनियरिंग और एक अन्य कंपनी से नकद प्राप्तियां दिखाई गईं, जो कि कमलनाथ के सहयोगियों की करीबी बताई जाती है। सूत्रों ने बताया, ‘मेघा इंजीनियरिंग से मिली नकद राशि ठेकों के बदले थी। कमलनाथ के सहयोगियों से मिली नकदी मध्य प्रदेश में चलाए गए कथित भ्रष्टाचार मामले से थी, जिसमें सीनियर नौकरशाहों, मंत्रियों और व्यापारियों सहित कई लोगों से रिश्वत की वसूली शामिल थी। इन नकद रसीदों की पुष्टि कई तरीकों से हुई, जैसे तलाशी के दौरान मिले दस्तावेज, व्हाट्सएप मैसेज और दर्ज किए गए बयान। कमल नाथ के आवास से एआईसीसी कार्यालय को 20 करोड़ रुपये के भुगतान का भी पता चला।’
कांग्रेस की ओर से दायर स्थगन याचिका खारिज
सूत्रों ने कहा कि आकलन के बाद 2021 में कांग्रेस पार्टी से कर मांग की गई और उन्हें भुगतान करने के लिए कई बार पत्र भेजे गए। कार्यवाही के दौरान निर्धारित (कांग्रेस पार्टी) की ओर से दायर स्थगन याचिका को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद, आकलन आदेश के 33 महीने और आयकर आयुक्त (अपील) के आदेश के 10 महीने बाद भी, जब निर्धारिती ने मांग को नहीं चुकाया, तो आयकर अधिनियम की धारा 226 (3) के तहत वसूली की कार्यवाही शुरू की गई। ऐसे में कानून के प्रावधानों के अनुसार लगभग 135 करोड़ रुपये की बकाया मांग की वसूली कार्यवाही शुरू की गई। इस कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण और दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था।