जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की मुसीबतें और बढ़ गईं हैं, क्योंकि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शहर में सीसीटीवी लगाने से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जांच की सिफारिश को मंजूरी दे दी है।
इस बात की जानकारी शनिवार को राज निवास के अधिकारियों ने दीं।
राज निवास के अधिकारियों ने बताया कि मौजूदा मामले में जैन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में सीसीटीवी लगाने में देरी के लिए एक कंपनी पर लगाए गए 16 करोड़ रुपए के जुर्माने को माफ करने के लिए 7 करोड़ रुपए की रिश्वत ली थी।
राजनिवास के अधिकारियों ने बताया कि जैन PWD मंत्री थे और इस नाते दिल्ली में 571 करोड़ रुपए की लागत से 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने की परियोजना के नोडल अधिकारी भी थे।
अधिकारियों का कहना है कि उपराज्यपाल ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत मामले को केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजने के सतर्कता निदेशालय के प्रस्ताव पर सहमति जताई ताकि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा जैन के खिलाफ जांच की मंजूरी मिल सके।
आतिशी बोलीं- यह एक और फर्जी मामला
एलजी वीके सक्सेना द्वारा सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच की अनुमति दिए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए AAP नेता और दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने कहा, ‘बीजेपी दिन-रात दिल्ली सरकार के खिलाफ साजिश में लगी हुई है, आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ 10 साल में 200 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, लेकिन आज तक कहीं से भ्रष्टाचार का एक रुपया भी बरामद नहीं हुआ। अब यह एक और फर्जी मामला है। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली सरकार को पंगु बनाना चाहती है।’
एसीबी ने इस मामले में अपनी जांच कैमरा लगाने वाली कम्पनी के पूर्व कर्मचारी मनमोहन पांडे की शिकायत पर शुरू की थी। भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी के अधिकारियों के अनुसार पांडे ने सितंबर 2019 में ऑन रिकॉर्ड यह बात कही थी कि सीसीटीवी परियोजना के प्रभारी व्यक्ति ने मुझसे कहा था कि जैन (तत्कालीन लोक निर्माण विभाग मंत्री) ने 7 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी है। हालांकि कम्पनी ने पांडे को झूठे आरोप लगाने का दोषी बताते हुए उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था।
इससे पहले तिहाड़ जेल में बंद सत्येंद्र जैन ने हाई कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई को छह सप्ताह के लिए स्थगित किए जाने के खिलाफ हाल ही में 25 जून को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि वह धनशोधन के मामले में सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर 9 जुलाई मंगलवार को फैसला सुनाए। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि जमानत के मामलों को अनावश्यक रूप से स्थगित नहीं किया जाना चाहिए।
ईडी ने भ्रष्टाचार की रोकथाम अधिनियम के तहत 2017 में जैन के खिलाफ दर्ज केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की एक प्राथमिकी पर आधारित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 30 मई 2022 को उन्हें गिरफ्तार किया था। धन शोधन मामले में गिरफ्तारी के कुछ महीनों बाद फरवरी 2023 में उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।