कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि जब पार्टी सत्ता में आएगी तो अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन करेगी।जयराम रमेश ने कहा कि जब हम जून 2024 में सत्ता में आने के बाद जेपीसी का गठन करेंगे, तब यह साफ होगा की यह लूट आखिर कितनी बड़ी है।उन्होंने लिखा, “SEBI ने अब इस बात की पुष्टि की है कि अडानी समूह की कंपनियों में निवेश किए गए एक दर्जन ऑफशोर फंडों ने डिस्क्लोजर नियमों और निवेश सीमा का उल्लंघन किया है। यह हिमशैल के सिरे की तरह है – जो अब दिख रहा है, वो पूरे स्कैम का सिर्फ़ एक छोटा हिस्सा है। जब हम जून 2024 में सत्ता में आने के बाद जेपीसी का गठन करेंगे, तब यह साफ़ होगा की यह लूट आखिर कितनी बड़ी है।”कांग्रेस का ये बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी जाच में पाया है कि 12 ऑफशोर फंडों ने अडानी समूह की कंपनियों के साथ अपने लेनदेन में प्रकटीकरण नियमों और निवेश सीमाओं का उल्लंघन किया है। जिसके 12 फंडों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। आठ फंडों ने दोष स्वीकार किए बिना जुर्माना अदा करके आरोपों का निपटारा करने का प्रस्ताव रखा।बाजार नियामक सेबी ने इस साल की शुरुआत में अडानी ग्रुप के करीब एक दर्जन ऑफशोर इनवेस्टर्स को चार्जेज बताते हुए नोटिस भेजा था और उनसे डिस्क्लोजर वॉयलेशन और निवेश सीमा के उल्लंघन पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, सेबी अडानी समूह के प्राथमिक शेयरधारकों के साथ किसी भी संभावित निष्कर्ष को निर्धारित करने के लिए अडानी समूह और इनमें से एक फंड के बीच संभावित लिंक की जांच कर रहा है।जयराम रमेश ने कहा, ”हम अडानी मेगास्कैम में भारतीय प्रतिभूति कानूनों के इन घोर उल्लंघनों पर सेबी की लंबे समय से विलंबित रिपोर्ट के तत्काल प्रकाशन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।” उन्होंने मोदी सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के “दुरुपयोग” का भी आरोप लगाया और कहा, “महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में कंपनियों को संपत्ति बेचने के लिए मजबूर करने और पीएम के करीबी दोस्तों को संपत्ति इकट्ठा करने में मदद करने के लिए ईडी, सीबीआई और आयकर जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया।”