जल्द ही सरकारी दस्तावेजों में दिखने लगेगा ‘भारत’ नाम, लेकिन पिछली तारीख से नहीं होंगे बदलाव
Sharing Is Caring:

सरकारी कार्यक्रमों से जुड़े आधिकारिक दस्तावेजों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आमंत्रणों और संबंधित दस्तावेजों में अब ‘भारत’ नाम दिखना शुरू हो सकता है। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि हालांकि, यह नाम पिछली तारीख से लागू नहीं होगा।

योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत आधिकारिक दस्तावेजों में ‘भारत’ नाम पहले से इस्तेमाल हो रहा है, जैसे कि ‘कर्मयोगी भारत’।

अधिकारी का कहना था, ‘हालांकि, यह मामला और अहम हो गया, जब गृह मंत्री अमित शाह ने हमारे पेनल कोड में यह नाम प्रस्तावित किया। इंडियन पेनल कोड, भारतीय न्याय संहिता बन गया, जबकि कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बन गया है। इसके अलावा, इंडियन एविडेंस एक्ट भारतीय साक्ष्य बिल बन गया है।’

‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल अब केंद्र सरकार के कार्यक्रमों में प्रमुख रूप से दिखेगा, मसलन ‘भारत ड्रोन शक्ति’। अधिकारी का यह भी कहना था कि आधिकारिक दस्तावेज में ‘भारत’ का इस्तेमाल करने लेकर को कोई कानूनी उलझन नहीं है, क्योंकि ‘इंडिया’ और ‘भारत’, दोनों संवैधानिक और कानूनी रूप से मान्य हैं। पासपोर्ट में ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ और ‘भारत सरकार’ दोनों दर्ज है। उन्होंने कहा, ‘इसमें किसी तरह के कानूनी या संवैधानिक उल्लंघन का सवाल नहीं है। साथ ही, पिछली तारीख से भी बदलाव का कोई इरादा नहीं है।’

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा आमंत्रण पत्रों में ‘भारत’ के जिक्र से विवाद शुरू हो गया है। विपक्ष ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक लाभ के लिए देश का नाम ‘बदलने’ की कवायद कर रही है, क्योंकि विपक्षी गठबंधन ने अपने नाम में ‘इंडिया’ शब्द जोड़ा है। हालांकि, सरकार के सीनियर अफसरों का कहना है कि इस मामले का विपक्षी गठबंधन के नाम से कोई लेना-देना नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि ‘इंडिया’ को बदलकर ‘भारत’ करने को लेकर काफी समय से मंथन चल रहा था, क्योंकि सरकार इस नाम को ज्यादा भारतीय मानती है।

प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य और इतिहासकार संजीव सान्याल का कहना है कि दोनों नाम (भारत और इंडिया) मान्य हैं और इसको लेकर किसी को संदेह नहीं होना चाहिए। उनके मुताबिक, हालांकि ‘भारत’ की उत्पत्ति इसी देश में हुई और यह ज्यादा स्वदेशी है। उन्होंने कहा, ‘भारत स्थानीय नाम है, जबकि इंडिया प्राचीन काल में विदेशियों के गलत उच्चारण का परिणाम है।’

विदेशी असर को खत्म करने की कोशिश?

सान्याल ने ‘भारत’ के इस्तेमाल की ऐतिहासिक नजरिये से भी व्याख्या की। उन्होंने कहा, ‘भारत एक प्राचीन नाम है, जिसे ऋग वेद से लिया गया है। पुराण और जैन की एक और परंपरा है, जिसके मुताबिक भरत एक राजा थे। दोनों परंपराएं हजारों साल पुरानी हैं। पुरानी वैदिक परंपरा के मुताबिक, भारत नामक समुदाय ने इस देश में पहला साम्राज्य खड़ा किया। जैन और पुराण परंपरा में राजा भरत का जिक्र है, जो राजा ऋषभ के पोते थे। वैदिक परंपरा तकरीबन 5,000 साल पुरानी है, जबकि पुराणों की परंपरा 2,500 साल पुरानी है।’

Sharing Is Caring:

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version