एक दिन पहले शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने पर जोर दिया और कहा कि वह महा विकास आघाडी (एमवीए) की ओर से घोषित ऐसे किसी भी उम्मीदवार का समर्थन करेंगे।ठाकरे के इस बयान के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि ऐसा कोई भी निर्णय दिल्ली में लिया जाएगा। उनका इशारा कांग्रेस पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व की ओर था।रिपोर्ट के मुताबिक, चव्हाण ने शनिवार को कहा, “शिवसेना कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत कर रही है। इससे पहले भी, शिवसेना नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व के साथ चर्चा की थी… शिवसेना अध्यक्ष ने कल सहयोगियों से मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर फैसला लेने को कहा था, उन्हें कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) नेतृत्व के साथ इस पर चर्चा करनी चाहिए।” शुक्रवार को, उद्धव ने एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए मुंबई में एमवीए रैली में सबसे पहले भाषण दिया। आम तौर पर वह सभा को संबोधित करने वाले वक्ताओं में सबसे आखिर में होते हैं।महाराष्ट्र में अक्टूबर या नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। एमवीए में शिव सेना (यूबीटी), शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस शामिल हैं। ठाकरे ने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला पहले किया जाना चाहिए न कि चुनाव में सबसे अधिक सीट जीतने वाली पार्टी के तर्क वाले आधार पर। ठाकरे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन के दौरान उनका अनुभव यह रहा कि जिसके पास संख्या होगी उसे मुख्यमंत्री का पद मिलेगा।उन्होंने इस नीति को ‘नुकसानदेह’ करार दिया क्योंकि इससे एक दल, अपने गठबंधन में बढ़त बनाए रखने के लिए दूसरे दल के उम्मीदवार को हराने की कोशिश करेगा। ठाकरे ने कहा, ”पहले (मुख्यमंत्री का चेहरा) फैसला करें और फिर आगे बढ़ें लेकिन इस नीति (जिनके पास सबसे ज्यादा सीट होंगी उसे मुख्यमंत्री पद मिलेगा) के अनुसार न चलें ।”पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ”उद्धव ठाकरे कांग्रेस और राकांपा (सपा) द्वारा एमवीए के मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में घोषित किसी भी उम्मीदवार का समर्थन करेगा। मैं अपने लिए नहीं लड़ रहा हूं बल्कि महाराष्ट्र के अधिकारों के लिए लड़ रहा हूं।” इस पर चव्हाण ने कहा कि उन्होंने उद्धव की बातों का जवाब नहीं दिया क्योंकि शिवसेना पहले से ही कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा, “इसके अलावा, मतदान से पहले सीएम तय करने जैसी बात महाराष्ट्र में कभी नहीं हुई।उन्होंने कहा, “कांग्रेस 1999 से एनसीपी के साथ गठबंधन में है। 1999 से लेकर अब तक हुए सभी चुनावों में हमने प्रचार के दौरान कभी भी सीएम उम्मीदवार तय नहीं किया। प्रत्येक पार्टी द्वारा जीती गई सीटों की संख्या की तुलना करने के बाद ही अधिकतम सीटें जीतने वाली पार्टी को सीएम पद मिलता था। महाराष्ट्र में सीएम उम्मीदवार को पहले से तय करने की कोई परंपरा नहीं रही है।” कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, “शिवसेना थोड़ी परेशानी में है क्योंकि उसने अधिक लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा है और कांग्रेस और एनसीपी की तुलना में उसका स्ट्राइक रेट कम है। यही कारण है कि वह सीएम उम्मीदवार के मुद्दे को उठाकर अपने कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने की कोशिश कर रही है।”