प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मध्य प्रदेश में धुआंधार प्रचार किया। 17 नवंबर को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन से 24 घंटे पहले ही पीएम मोदी ने एमपी में ताबड़तोड़ रैलियों के बाद इंदौर में रोडशो से अभियान को खत्म किया।
भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की भरसक कोशिश के बाद पीएम मोदी का अगला पड़ाव झारखंड है। वह मंगलवार रात ही रांची पहुंच रहे हैं। आप भी सोच रहे होंगे कि जब छत्तीसगढ़ और एमपी में प्रचार का दौर चरम पर है तो पीएम मोदी ऐसे राज्य में क्यों जा रहे हैं जहां अभी कोई चुनाव नहीं होने जा रहा है।
पीएम मोदी भले ही रायपुर से 600 और भोपाल से 1000 किलोमीटर से अधिक दूरी पर होंगे, लेकिन झारखंड में एक ऐसा दांव चलने जा रहे हैं जिससे भाजपा को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बड़े चुनावी फायदे की उम्मीद है। पीएम मोदी ने खुद मध्य प्रदेश के बैतूल में अपने भाषण के दौरान इसका जिक्र भी किया। पीएम मोदी ने कहा, ‘चुनाव में मेरी जनसभाओं का आखिरी दौर है। कल जनजातीय गौरव दिवस मनाने के लिए मैं कल भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली के मिट्टी को माथे से लगाने जा रहा हूं।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिरसा मुंडा के जन्मस्थली जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे। बिरसा मुंडा जनजातीय गौरव के सबसे बड़े प्रतीकों में से एक हैं। अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने वाले बिरसा मुंडा में आदिवासियों की गहरी आस्था है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनावी नतीजों पर सबसे ज्यादा असर रखने वाले आदिवासी समाज को पीएम मोदी झारखंड से साधने की कोशिश करेंगे। यह उसी कड़ी का एक हिस्सा है जिसके तहत भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू के रूप में आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाया। इसका फायदा भाजपा को गुजरात चुनाव में भी मिल चुका है।
MP में जिसकी तरफ आदिवासी उसकी सरकार
मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की 47 सीटें हैं। पिछले तीन चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ हो जाता है कि आदिवासियों ने जिस पार्टी की ओर रुख किया सरकार उसी की बनी। 2008 और 2013 में भाजपा ने सर्वाधिक 29 और 31 सीटों पर कब्जा किया था। इससे भाजपा की राह आसान हो गई थी। वहीं, 2018 में कांग्रेस ने एसटी के लिए आरक्षित 30 सीटों पर कब्जा किया और भाजपा को महज 16 पर सफलता मिली। नतीजा यह हुआ कि सत्ता कांग्रेस के हाथ चली गई। हालांकि, बाद में कांग्रेस की कलह का फायदा उठाते हुए भाजपा ने सरकार बनाई।
छत्तीसगढ़ में भी अहम भूमिका
छत्तीसगढ़ में भी आदिवासियों की बड़ी आबादी है। राज्य में 90 विधानसभा सीटों में से 29 आरक्षित हैं। 2008 और 2013 में भाजपा ने 19 और 11 सीटों पर कब्जा किया था। वहीं 2018 में जब कांग्रेस ने इनमें से 25 सीटों पर कब्जा किया तो सत्ता भी उसके हाथ आ गई।