पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनावी मोड में आ गई हैं। जिस तरह से उन्होंने बंगाल में मौलानाओं और पुजारियों के भत्ते बढ़ाने का ऐलान किया है, उसे देखकर तो कुछ ऐसा ही लगता है।
इस दौरान ममता ने दुर्गा पूजा समितियों का भत्ता 60 हजार रुपए प्रति क्लब से बढ़ाकर 70 हजार रुपए करने का ऐलान किया। इससे पहले ममता मौलवियों और पुजारियों के भत्ते बढ़ाने का भी ऐलान कर चुकी हैं। उन्होंने सोमवार को मुस्लिम इमामों और हिंदू पुरोहितों के मासिक भत्ते में 500 रुपए की वृद्धि की घोषणा की थी। ममता की इस घोषणा को भाजपा और माकपा ने अल्पसंख्यक वोटरों को रिझाने के लिए ‘सस्ता चुनावी हथकंडा’ बताया था।
पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार
बता दें कि दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार है। कोरोना के चलते दो साल यहां पर उत्सव नहीं मनाया जा सकता। लेकिन साल 2022 में यह फिर से पूरे रंग में लौटा था और कोलिजाता में दुर्गा पूजा को यूनेस्को हेरिटेज का दर्जा मिला था। पूरे पश्चिम बंगाल में करीब 40,000 सामुदायिक पूजा आयोजित की जाती है। इसमें से लगभग 3000 अकेले कोलकाता में आयोजित की जाती हैं। 2018 में, ब्रिटिश काउंसिल, आईआईटी खड़गपुर और ब्रिटेन में क्वीन मैरी विश्वविद्यालय द्वारा की गई एक स्टडी में में दुर्गा पूजा से जुड़े रचनात्मक उद्योगों की अर्थव्यवस्था 32,377 करोड़ रुपये आंकी गई थी। यह अध्ययन राज्य सरकार द्वारा शुरू किया गया था।
कई लोगों की होती है कमाई
ममता ने कहा कि दुर्गा पूजा की इकॉनमी 60,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। लोक कलाकारों सहित कई लोग यहां से कमाते हैं। उन्होंने कहा कि इस साल बहुत सारे विदेशी पर्यटकों के यहां आने की उम्मीद है। ममता बनर्जी ने 2018 में 28,000 पूजा कमेटियों को 10,000 रुपये दिए थे। 2019 में इसे बढ़ाकर 25,000 रुपए प्रति कमेटी कर दिया गया था। 2020 में, कोविड-19 के बाद, डबल करके 50,000 रुपए किया गया। साल 2022 में उन्होंने इसे बढ़ाकर 60,000 रुपए किया था। ममता ने आगे कहा कि कोई कल अदालत में पीआईएल दायर कर यह सवाल उठा सकता है कि अनुदान क्यों बढ़ाया गया। ये क्लब और पूजा समितियां जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करती हैं और राज्य सरकार के विकास कार्यों को प्रोजेक्ट करती हैं। हमारे पास कैश क्रश है।