चाबी खो जाने से मचा था बवाल, चुनाव में खूब उठा मुद्दा; अब खोला जाएगा जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार
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पुरी के मशहूर जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 8 जुलाई या उसके एक दिन बाद खोला जाएगा। इस रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ के आभूषण और अन्य बहुमूल्य वस्तुएं हैं। इस बारे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों ने जानकारी दी है।

एएसआई के पुरी सर्कल के अधीक्षक दिबिषद गडनायक ने बुधवार को कहा कि निरीक्षण 8 जुलाई या उसके अगले दिन कोर कमेटी और तकनीकी समिति के सदस्यों की मौजूदगी में किया जाएगा। गडनायक ने कहा, “चूंकि इस साल रथ यात्रा 7 और 8 जुलाई को दो दिनों के लिए निर्धारित है, इसलिए कक्ष को 8 जुलाई के एक दिन बाद खोला जा सकता है।”

मंदिर के गर्भगृह के पास स्थित रत्न भंडार, यकीनन मंदिर की सबसे कीमती संपत्ति है जिसमें हीरे, सोने और चांदी सहित मंदिर के कई अमूल्य आभूषण हैं। मंदिर के नियमों और प्रथाओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए गए सभी सोने और जवाहरात को रत्न भंडार के दो कक्षों- आंतरिक कक्ष और बाहरी कक्ष में रखा जाना चाहिए। हालांकि, बाहरी कक्ष देवताओं के विभिन्न अनुष्ठानों के लिए खोला जाता है और वहां रखे गए आभूषण और कीमती सामान भगवान जगन्नाथ के सुना बेशा के दौरान उपयोग किए जाते हैं, आंतरिक कक्ष 1978 से नहीं खोला गया है। जगन्नाथ मंदिर अधिनियम के अनुसार, हर तीन साल में रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष में रखे सभी कीमती सामानों का ऑडिट होना चाहिए। हालांकि, 1978 के बाद से रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष का कोई उचित ऑडिट नहीं हुआ है।

मंदिर के आधिकारिक इतिहास ‘मदला पंजी’ के अनुसार, राजा अनंगभीम देव ने भगवान जगन्नाथ के स्वर्ण आभूषण तैयार करने के लिए 250 किलोग्राम से थोड़ा अधिक सोना दान किया था। इस साल जनवरी में उच्च न्यायालय में दायर एक हलफनामे में, मंदिर प्रशासन ने कहा कि रत्न भंडार में लगभग 149.47 किलोग्राम वजन के सोने के आभूषण और 198.79 किलोग्राम वजन के चांदी के आभूषण और बर्तन थे।

पिछले साल सितंबर में उड़ीसा उच्च न्यायालय ने रत्न भंडार में आभूषणों सहित कीमती वस्तुओं की सूची तैयार करने की निगरानी के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन का आदेश दिया था, जिसके बाद पिछली सरकार ने इस साल फरवरी में रत्न भंडार में आभूषणों और विभिन्न कीमती वस्तुओं की सूची तैयार करने की निगरानी के लिए पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश अरिजीत पसायत की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति के अन्य सदस्यों में प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. रमाकांत पांडा, इलाहाबाद बैंक के पूर्व सीएमडी बिधुभूषण सामल, पुरी गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब और मंदिर के विभिन्न सेवायत शामिल हैं।

रत्न भंडार का खुलना हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने खजाने की चाबी के गायब होने को ओडिया अस्मिता खोने का हवाला दिया, और इसे एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था। 2018 में रत्न भंडार की चाबी गायब होने का जिक्र करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य शीर्ष भाजपा नेताओं ने प्रचार के दौरान बीजू जनता दल (बीजेडी) को मात देने में कामयाब रही।

इस बीच जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य और प्रसिद्ध रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने कहा कि रत्न भंडार के ऑडिट में छह साल की देरी के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री मोहन माझी से कार्रवाई करने और एएसआई, मंदिर के अधिकारियों के साथ इस मामले पर चर्चा करने और उचित निर्णय लेने का आग्रह करता हूं।”

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