उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच बेहतर यात्रा के उद्देश्य से चंबल नदी पर स्वीकृत सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण में एनओसी का पेच फंसा हुआ है। पुल निर्माण के बीच में वन विभाग की जगह होने की वजह से उसकी ओर से एनओसी नहीं मिल सकी है।
ऐसे में पुल के निर्माण की प्रक्रिया दो साल से रुकी हुई है। करीब दो साल पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के आसपास केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इटावा स्थित चंबल नदी पर सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण की स्वीकृत प्रदान की थी। चंबल नदी पर करीब 296 करोड़ से बनने वलाले सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण के लिए भारतीय जनता पार्टी की इटावा सदर विधायक सरिता भदोरिया ने पहल की थी।
इस पुल के निर्माण के लिए चंबल सेंचुरी से विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मिलना बेहद जरूरी है लेकिन दो साल की अवधि पूरी हो जाने के बाद अभी तक तकनीकी रूप से एनओसी नही मिल सकी है।
राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी की डीएफओ आरुषि मिश्रा ने सोमवार को बताया किचंबल पुल के बीच में सेंचुरी और वन विभाग की जगह आ रही है। विभाग के नियमों के कोरम पूरे न होने की वजह से एनओसी नहीं दी जा रही है। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। प्रयास है कि एनओसी जल्द दी जा सके।
दूसरी ओर राष्ट्रीय मार्ग खंड के अधिशासी अभियंता मुकेश ठाकुर ने बताया कि शासन से नए फोरलेन पुल का बजट विभाग को मिल चुका है। टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सर्फि चंबल सेंचुरी की एनओसी का इंतजार है। कई बार प्रयास के बाद भी एनओसी नहीं दी जा रही है। हमारी ओर से सभी तैयारियां कर ली गई हैं। एनओसी मिलते ही काम को शुरू कराया जाएगा।
मध्यप्रदेश को जिले से जोड़ने के लिए चंबल नदी पर लगभग 50 साल पुराना पुल बना है। इसकी अवधि अधिक हो जाने की वजह से आए दिन क्षतग्रिस्त हो जाता है। ऐसे में पुल को बंद भी करना पड़ता है। बीते लगभग डेढ़ साल से पुल बंद था, हाल में ही सख्त नियमों के साथ खोल गया है।
उत्तर प्रदेश के इटावा होते हुए भिंड, ग्वालियर होकर मध्यप्रदेश में चंबल पार करके प्रवेश करते हैं। इस रास्ते में चंबल नदी पर लगभग 800 मीटर का 50 साल पुराना पुल बना हुआ है। इससे ही सभी का आवागमन रहता है। लेकिन पुल पुराना होने और इस पर ओवरलोड वाहन निकलने की वजह से कई बार क्षतिग्रस्त हो चुका है। करीब डेढ़ साल पहले प्रशासन की ओर से इसे बंद भी करा दिया था। इटावा जिले की मध्यप्रदेश से आवाजाही प्रभावित हो गई थी। लोगों को चकरनगर होते हुए लगभग 100 किलोमीटर का चक्कर लगाकर मध्यप्रदेश जाना पड़ रहा था।
इन परिस्थितियों को देखते हुए सदर विधायक ने उक्त पुल के समकक्ष एक नया पुल बनवाने की मांग की थी। लोगों की परेशानी को देखते हुए शासन ने भी इसे लगभग दो साल पहले स्वीकृति दे दी थी। ऐसे में जल्द ही इस सग्निेचर पुल के बनने से लोगों को राहत मिलने की उम्मीद थी। इसके लिए शासन ने लगभग 296 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत कर दिया गया था।
सिगनेचर ब्रिज के लिए चंबल सेंचुरी की ओर से एनओसी न मिलने को लेकर इटावा सदर से भारतीय जनता पार्टी की विधायक ने कहा कि उनके स्तर पर एनओसी ना मिलने के मुद्दे को बड़े अधिकारियों के समक्ष रखा जाएगा ताकि जल्दी से जल्दी एनओसी मिले और सिगनेचर ब्रिज का निर्माण शुरू हो।