प्रयागराज स्थित मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान (MNNIT) के वैज्ञानिक चंद्रमा और मंगल ग्रह के लिए घर का डिजाइन बनाएंगे। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने एमएनआईआईटी के वैज्ञानिकों को ये प्रोजेक्ट दिया है जिस पर वो साल 2027 तक काम पूरा कर लेंगे।
मानव जीवन की चंद्रमा और मंगल पर राह आसान बनाने की दिशा में वैज्ञानिकों की यह अहम पहल साबित होगी। अंतरिक्ष यात्रियों की सहूलियत के लिए वैज्ञानिक ऐसी संरचना तैयार करेंगे जिसे यात्री रॉकेट में अपने साथ विभिन्न ग्रहों पर ले जा सकेंगे। वहां इसे फुलाकर रहने लायक बना लिया जाएगा। वैज्ञानिक उसमें रहकर विभिन्न प्रकार के शोध कार्य कर सकेंगे। अभी कठोर वातावरण में वहां शोध में बाधा पैदा होती है।
एमएनएनआईटी के वैज्ञानिक 2027 तक इस संरचना को बनाकर डीएसटी को भेजेंगे। यह जिम्मेदारी विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग के तहत कार्यकत साइंस और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) ने संस्थान के वैज्ञानिकों को दी है। प्रोजेक्ट के मुख्य इंचार्ज एप्लाइड मैकेनिक्स विभाग के डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि हल्के, सस्ते और टिकाऊ स्वदेशी इन्फ्लेटेबल संरचना की डिजाइन विकसित की जाएगी। घर के इस मॉडल का उपयोग अलग-अलग ग्रहों एवं चंद्रमा पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री कर सकेंगे।
क्या होती है इन्फ्लेटेबल संरचना
इन्फ्लेटेबल संरचना एक ऐसी वस्तु है जिसमें एक या एक से अधिक सामग्रियों की पतली परत होती है जिसे विभिन्न गैसों जैसे हवा, हाइड्रोजन, हीलियम, नाइट्रोजन आदि से फुलाया जा सकता है। इन्फ्लेटेबल संरचना में दो झिल्ली होती हैं, एक आंतरिक और एक बाहरी। बाहरी झिल्ली की सतह बाहरी वातावरण के संपर्क में होती है और आंतरिक झिल्ली की सतह संरचना के अंदर की गतिविधि और लोगों के संपर्क में होती है। इन इन्फ्लेटेबल संरचनाओं का उच्च गैस अवरोधक गुण काफी सहूलियत देता है।
अंतरक्षि में अपने चिह्नित स्थान पर पहुंच कर ये घर स्वत: खुल जाएंगे। विषम हालात और कठोर वातावरण को झेल सकने में यह आवासीय मॉडल सक्षम होंगे। डॉ. सतीश का कहना है कि इनके अंदर से मौसम पर नजर रखी जा सकती है। इसके साथ ही उच्च गति की संचार सेवाओं में भी ये मददगार साबित होंगे।