गहलोत, पायलट और वसुंधरा. हरियाणा चुनाव में राजस्थान के नेताओं को बीजेपी-कांग्रेस क्यों दे रही तरजीह?
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हरियाणा के चुनावी दंगल में राजस्थान के नेताओं को कांग्रेस और बीजेपी खूब तवज्जो दे रही है. दोनों पार्टियों की ओर से अब तक एक दर्जन से ज्यादा नेता चुनावी ड्यूटी में लगाए गए हैं. इनमें वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे तक का नाम शामिल हैं.

हरियाणा के राजनीतिक गलियारों में राजस्थान के नेताओं को मिल रही तरजीह चर्चा का कारण बना हुआ है. सवाल उठ रहा है कि आखिर थार से आने वाले नेताओं की हरियाणा में इतनी पूछ क्यों हो रही है?

बीजेपी में 5 स्टार प्रचारक राजस्थान से

बीजेपी ने स्टार प्रचारक के लिए 40 नेताओं की एक सूची जारी की है. सूची में पहला नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का है, लेकिन सूची के चर्चा में होने की एक वजह राजस्थान के नेताओं का दबदबा होना है. सूची में राजस्थान के 5 नेताओं को जगह दी गई है.

पहला नाम सतीश पूनिया का है. पूनिया राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. वर्तमान में हरियाणा के प्रभारी हैं. दूसरा नाम मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का है. शर्मा 2023 में राजस्थान के मुख्यमंत्री बनाए गए हैं. इसी तरह तीसरा नाम पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की है.

चौधा नाम केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की है. मेघवाल 2017 से ही मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं. पांचवा नाम डिप्टी सीएम दीया कुमारी की है. दीया कुमारी 2023 में राजस्थान की डिप्टी सीएम बनी हैं. दिलचस्प बात है कि बीजेपी की लिस्ट में हरियाणा के करीब 10 स्टार प्रचारक हैं.

कांग्रेस के 3 स्टार प्रचारक राजस्थान से

कांग्रेस ने भी स्टार प्रचारकों की एक सूची जारी की है. सूची में कुल 40 नाम हैं, जिसमें सबसे पहला नाम अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का है. कांग्रेस की सूची में राजस्थान के 3 नेताओं को जगह दी गई है. इनमें पहला नाम पूर्व सीएम अशोक गहलोत का है. अशोक गहलोत हरियाणा में कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक भी बनाए गए हैं.

पर्यवेक्षक का काम चुनाव की मॉनिटरिंग करना और सारे लूपहोल को ठीक करना है. कांग्रेस के संगठन में चुनाव के वक्त इस पद को अहम मााना जाता है. सरकार आने पर पर्यवेक्षक की रिपोर्ट के आधार पर ही मुख्यमंत्री का चयन होता है.

स्टार प्रचारक की लिस्ट में दूसरा नाम पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का है. पायलट कांग्रेस के तेजतर्रार वक्ता माने जाते हैं. तीसरा नाम प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का है.

इसके अलावा कांग्रेस ने राजस्थान के कुछ विधायकों को भी ग्राउंड की जिम्मेदारी दे रखी है. इन नेताओं को एक-एक सीट जीताने का काम सौंपा गया है.

राजस्थान के नेताओं को तरजीह क्यों?

हरियाणा की सीमा सबसे ज्यादा पंजाब से लगती है. इसके बाद दिल्ली और फिर राजस्थान से, लेकिन यहां के चुनाव में जिस तरह से राजस्थान के नेताओं को तरजीह मिल रहा है. वो सुर्खियों में हैं. 3 प्वॉइंट्स में इसकी वजह जानते हैं.

 हरियाणा में भी राजस्थान की तरह ही जाटों का सियासी दबदबा है. कांग्रेस ने जाटों को साधने के लिए जहां राजस्थान के अपने लोकप्रिय नेता गोविंद सिंह डोटासरा को आगे किया है. उसी तरह बीजेपी में सतीश पूनिया जाटों को लुभाने के लिए आगे आए हैं.

 भजनलाल शर्मा ब्राह्मण चेहरा हैं और हरियाणा के पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री हैं. हरियाणा में ब्राह्मणों की आबादी करीब 10 प्रतिशत हैं. इसी तरह बीजेपी ने दलितों को साधने के लिए अर्जुन राम मेघवाल को आगे किया है. हरियाणा में दलितों के लिए 17 सीट रिजर्व है. गुर्जर और युवाओं को साधने के लिए कांग्रेस ने सचिन पायलट की ड्यूटी लगाई है.

 दिल्ली और पंजाब के मुकाबले राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के पास मजबूत और ज्यादा नेता है. हरियाणा के चुनाव में राजस्थान के नेताओं के ड्यूटी लगाने की एक वजह यह भी है.

5 अक्टूबर को चुनाव, 8 को गिने जाएंगे वोट

हरियाणा विधानसभा के 90 सीटों के लिए 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे. राज्य में चुनाव प्रचार का दौर शुरू हो गया है. 8 अक्टूबर को मतों की गिनती होगी. हरियाणा में सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा 46 है. राज्य में इस बार मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी में है. हालांकि, जेजेपी, इनेलो और आप जैसी पार्टियां भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटी है.

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