अयोध्या में पिछली बार केवल साढ़े तीन हजार मतों से मेयर की सीट जीतने वाली भाजपा के लिए इस बार यहां दोहरी चुनौती है। एक तो सीट जीतनी है, दूसरे पिछली बार से मार्जिन भी बढ़ाना है।
यही नहीं, सभासदों की 60 में से 30 सीटें पिछली बार भाजपा ने जीती थी। इस बार कोशिश इसे भी बढ़ाने की है। यही कारण है कि सोमवार को सीएम योगी दूसरी बार निकाय चुनाव का प्रचार करने अयोध्या पहुंच गए। यहां संतो मंहतों के साथ प्रबुद्ध सम्मेलन किया और कहा कि रामनगरी पर पूरी दुनिया की निगाह है। उन्होंने कहा कि इसका असर केंद्र व राज्य सरकार पर नहीं पड़ेगा। इससे गलत संदेश जाएगा। लोग कहेंगे कि रामभक्तों पर गोलियां बरसाने वालों को आपने समर्थन दे दिया। योगी का इशारा साफ था। वह बताने की कोशिश कर रहे थे कि अगर भाजपा हार गई तो क्या होगा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष एवं छोटी छावनी के प्रमुख नृत्यगोपाल दास की अध्यक्षता में आयोजित प्रबुद्व सम्मेलन में हिस्सा लिया। कहा कि यहां 60 वार्ड है आप सभी को 60 टोलियां बनाकर निकलना चाहिए। कहा कि अयोध्या आाने वाली जनता को कैसी सुविधा मिले यह हमारी जिम्मेदारी है। यह रामनगरी 500 वर्षो से उपेक्षित थी हमारी सरकार बनने के बाद हमने दीपोत्सव 2017 में शुरू किया।
कहा कि अयोध्या की पहचान साधु महात्माओं, दीपोत्सव आदि से बनी है। भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है जो सभी के आस्था का केन्द्र है। उन्होंने संतों-महंतों से अयोध्या नगर निगम के प्रत्याशी गिरीश पति त्रिपाठी के समर्थन की अपील की। उन्होंने महंत नृत्यगोपाल दास,उनके उत्तराधिकारी कमल नयन दास, चम्पत राय से विशेष अपील की। कहा रामराज्य के निर्माण में स्थानीय चुनाव में सहयोग करें। अयोध्या के विकास में अपना सहयोग करें।
क्यों भाजपा को दिख रही परेशानी
इस बार एक तरफ बीजेपी के सामने मेयर की जीत और मार्जिन बढ़ाने की चुनौती है तो दूसरी तरफ स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी ने उसकी लड़ाई कठिन बना दी है। यह नाराजगी बीजेपी के मेयर पद के उम्मीदवार महंत गिरीशपति त्रिपाठी की जीत की संभावनाओं पर पानी फेर सकती है। त्रिपाठी अयोध्या के एक स्थानीय मंदिर में पुजारी हैं और 2017 से पहले वे कांग्रेस में थे।
भाजपा के बागी शरद पाठक भी मेयर पद के दावेदार थे। जब पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो पाठक ने अपनी पत्नी अनीता को निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है। हालांकि यहां पर भाजपा के गिरीशपति त्रिपाठी के मुख्य दावेदार समाजवादी पार्टी के आशीष पांडेय हैं।
2017 के निकाय चुनाव में केवल साढ़े तीन हजार वोटों से भाजपा को जीत मिली थी। सीएम योगी ही नहीं पूरी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। ऐसे में भाजपा ने यहां पर पूरी ताकत झोंक दी है। अयोध्या में 11 मई को दूसरे चरण का मतदान होना है। वोटों की गिनती 13 मई को होगी।
अयोध्या नगर निगम में मेयर सीट के साथ ही 60 वार्ड हैं। पिछले निकाय चुनाव बीजेपी के मेयर पद के उम्मीदवार ऋषिकेश उपाध्याय ने समाजवादी पार्टी के गुलशन बिंदू को केवल 3601 वोटों के मामूली अंतर से हरा पाए थे। उपाध्याय को बिंदु 44642 और सपा प्रत्याशी को 41041 मत मिले थे। 60 में से 30 वार्डों में ही बीजेपी जीत सकी थी।
अयोध्या के 60 वार्डों में पार्षदों की सीट के लिए मैदान में उतरे बीजेपी उम्मीदवारों को भी बागियों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। ये बागी बीजेपी की 30 सीटों की संख्या को कम कर सकते हैं। नतीजतन, आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व और भाजपा नेतृत्व ने अयोध्या में असंतुष्ट पार्टी कार्यकर्ताओं को शांत करने के लिए राज्य के अनुभवी नेताओं को भेजा है।
माना जा रहा है कि अगर राम मंदिर मतदाताओं के बीच मुख्या मुद्दा बना रहता है तो भाजपा मेयर की सीट बरकरार रखने में सक्षम होगी और अपने जीत के अंतर में भी सुधार कर सकती है। नहीं तो इस बार सीट बचाना बीजेपी के लिए मुश्किल साबित हो सकता है।
इस बार दर्शन-पूजन हुए वापस
मुख्यमंत्री यहां दोपहर 15.21 पर रामकथा पार्क हेलीपैड पर पहुंचे और प्रबुद्ध सम्मेलन को सम्बोधित कर 16.30 पर वापस हेलीकाप्टर से गोरखपुर वापस लौट गए। इस बार हनुमानगढ़ी व रामजन्म भूमि में विराजमान रामलला के दर्शन पूजन भी नहीं किया। यद्यपि अधिकारियों ने पहले से तैयारी की थी और मुख्यमंत्री के आगमन की सूचना के बाद ही यातायात व्यवस्था को जहां-तहां रोक दिया गया।