पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने शनिवार को कहा कि पश्चिमी देश गंभीर संकट में हैं, जबकि भारत ने शानदार आर्थिक नीतियों और सुधारों के चलते ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ दिया है।
वह हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में बोल रही थीं। ट्रस ने कहा, “ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को भारत ने पीछे छोड़ दिया है। भारत में शानदार आर्थिक नीतियां और सुधार हुए हैं। भारत और यूनाइटेड किंगडम के पास एक-दूसरे से तकनीक और कृषि जैसे क्षेत्रों में काफी कुछ सीखने का अवसर है। भारत ने पिछले 100 वर्षों में जबरदस्त प्रगति की है और उसकी नेतृत्वकारी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।”
बता दें कि मैरी एलिजाबेथ ट्रस एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने सितंबर से अक्टूबर 2022 तक यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री और कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के रूप में कार्य किया। कार्यालय में अपने पचासवें दिन, उन्होंने सरकारी संकट के बीच पद छोड़ दिया, जिससे वे ब्रिटिश इतिहास में सबसे कम समय तक सेवा देने वाली प्रधानमंत्री बन गईं।
जियोपॉलिटिक्स में भारत की भूमिका
भारत की वैश्विक भूमिका पर बोलते हुए, उन्होंने कहा, “भारत अब विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है और एक पुराना लोकतंत्र है। भारत भविष्य में एक बड़ी नेतृत्वकारी भूमिका निभाएगा। यह बेहद रोमांचक है। भारत क्वाड का हिस्सा है, जो चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर खास तौर पर महत्वपूर्ण है।”
ब्रिटिश अर्थव्यवस्था पर गहरी चिंता
लिज ट्रस ने ब्रिटिश अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर निराशा जताई। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सकता है। जब तक शक्तिशाली नौकरशाही पर काबू नहीं पाया जाएगा, तब तक राष्ट्रीय दिशा बहाल नहीं होगी।” उन्होंने 14 वर्षों के कंजर्वेटिव शासन का जिक्र करते हुए कहा कि लोगों ने खुद को बेहतर स्थिति में महसूस नहीं किया, जिसके चलते उन्होंने लेबर पार्टी को चुना। हालांकि, लेबर पार्टी और भी अधिक टैक्स और नियम-कानून लागू कर रही है, जिससे स्थिति और खराब हो रही है।
टोनी ब्लेयर की आलोचना
ट्रस ने ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की आलोचना करते हुए कहा, “ब्लेयर ने संसद से बहुत सारी शक्तियां लेकर नौकरशाहों को सौंप दीं। उन्होंने इस दिशा में पर्याप्त काम नहीं किया, जिसके चलते ब्रिटेन ठहराव की स्थिति में पहुंच गया। यही वजह थी कि लोगों ने उनके खिलाफ वोट दिया।” लिज ट्रस के इस बयान ने ब्रिटेन और भारत दोनों में आर्थिक और राजनीतिक चर्चाओं को नई दिशा दी है।