दिल्ली पुलिस यह जानने में जुटी है कि आखिरकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का फेक वीडियो का स्रोत क्या है। सूत्रों ने सोमवार को बताया कि दिल्ली पुलिस ने ‘एक्स’ एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को पत्र लिखकर अमित शाह के फर्जी वीडियो के स्रोत के बारे में जानकारी मांगी है।
इस वीडियो को सोशल मीडिया पर कई लोगों की ओर से शेयर किया गया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रविवार को इस वीडियो को लेकर मामला दर्ज किया था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अमित शाह का फर्जी वीडियो फैलाए जाने के सिलसिले में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रविवार को मामला दर्ज किया था। इस फेक वीडियो में तेलंगाना में धार्मिक आधार पर मुसलमानों के लिए आरक्षण समाप्त करने का संकेत देने संबंधी अमित शाह के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
अमित शाह के बयान को इस तरह दिखाया गया है जैसे कि वह हर तरह का आरक्षण समाप्त करने की वकालत कर रहे हों। सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) यूनिट ने वीडियो के स्रोत और इसे फैलाने वालों की पहचान करने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से संपर्क साधा है।
सूत्रों ने बताया कि मामले की छानबीन और दोषियों को पकड़ने के लिए कई टीमें बनाई गई हैं। वीडियो के संबंध में ‘एक्स’ एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को पत्र लिखा है। हम वीडियो के स्रोत और इसके व्यापक प्रसार के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करना चाहते हैं। शिकायत में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने के इरादे से वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है।
दिल्ली पुलिस ने इस सिलसिले में आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना), 153ए (धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 465 (जालसाजी), 469 (किसी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए जालसाजी) और 171जी (चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के इरादे से गलत बयान प्रकाशित करना) के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66सी के तहत मामला दर्ज किया है।