सामाजिक सुरक्षा के लिहाज से पेंशन किसी भी कर्मचारी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। पेंशन का उद्देश्य रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों के लिए सम्मान के साथ एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करना है।
हालांकि भारत में सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू नई पेंशन योजना को लेकर काफी सवाल उठते रहे हैं। कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन नीति (एनपीएस) लागू है, लेकिन एक तबका पुरानी पेंशन योजना में वापसी की मांग कर रहा है। पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय उनके वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।
कर्मचारियों की चिंताओं और मांगों को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्रालय ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन प्रणाली की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कई राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने का फैसला किया है।
सरकार ने गुरुवार को राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) की समीक्षा करने और सरकारी कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए इसमें किसी भी बदलाव का सुझाव देने के लिए वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित करने की घोषणा की। वित्त मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार समिति में सचिव, कार्मिक, विशेष सचिव, कार्मिक एवं पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) के अध्यक्ष भी शामिल होंगे।
हालांकि समिति द्वारा सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने घोषणा की थी कि केंद्र सरकार वित्त सचिव की अध्यक्षता में एनपीएस की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन करेगी। कमेटी पेंशन से जुड़े मसलों का समाधान निकालेगी। एनपीएस की समीक्षा और इसमें सुधार की गुंजाइश की मांग को लेकर सरकार को मिले अभ्यावेदन के बीच यह कदम उठाया गया है।
समिति राज्यों से विचार भी मांगेगी और एनपीएस के लाभार्थियों के लिए पेंशन लाभों को संशोधित करने या सुधारने के उपाय सुझाएगी। कई राज्यों के कर्मचारी मौजूदा पेंशन सिस्टम में बदलाव की मांग कर रहे हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड सहित कुछ राज्य पहले ही पुरानी पेंशन योजना में वापस आ गए हैं।