कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी यूपी के सूर्य मंदिर को तोड़ने की कोशिश, आज भी देखने को मिलते हैं अवशेष
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यूपी का बुंदेलखंड क्षेत्र घूमने के लिहाज से बेहद खास है। यहां प्राचीन किले, मंदिर समेत अन्य कई पर्यटन स्थल देखने को मिल जाएंगे। इसी कड़ी मे महोबा का प्राचीन सूर्य मंदिर भी है। ये मंदिर ओड़िशा के कोणार्क सूर्य मंदिर से भी चार दशक पुराना है।हालांकि यह दुर्भाग्य है कि चंदेल शासकों के समय बना यह मंदिर लगातार हो रही उपेक्षाओं के कारण अपना अस्तित्व खो रहा है।महोबा के इस मंदिर को रहेलिया सूर्य मंदिर भी कहा जाता है। इतिहासकारों की माने तो इसका निर्माण 850 में राजा राहुल देव बर्मन ने करवाया था। हालांकि 12वीं शताब्दी में कुतुबुद्दीन एबक ने इस मंदिर को ध्वस्त करने की कोशिश की लेकिन वह पूरी तरह सफल नहीं हो सका। आज भी मंदिर के अवशेष बिखरे मिलते हैं। अगर मंदिर की खासियत की बात करें तो पत्थरों पर आकृति बनी है, इसके अलावा दीवारों पर नक्काशी देखने को मिलती है। मंदिर का निर्माण ग्रेनाइट पत्थरों से हुआ है।
महोबा का ये सूर्य मंदिर जम्मू कश्मीर के मार्तंड सूर्य मंदिर के बाद देश में दूसरे प्राचीन मंदिरों में से एक है। महोबा सूर्य मंदिर और कोणार्क सूर्य मंदिर में कुछ समानताएं है। रहेलिया सरोवर के किनारे बने इस मंदिर पर भी सूर्य की पहली किरण सीधे पड़ती है। यहां से थोड़ी दूरी पर सूर्यकुंड है। जिसे लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां स्नान करने से चर्मरोग से संबंधित बीमारियां जड़ से खत्म होती हैं।
कैसे पहुंचे
महोबा के लिए कई शहरों से ट्रेन मिल जाएंगी या इसके नजदीकी स्टेशनों की बात करें तो झांसी, खजुराहो और बांदा है। महोबा के लिए छतरपुर, कानपुर, लखनऊ और झांसी जैसे शहरों से सीधे बस मिल जाएगी। अगर नजदीकी हवाई अड्डे की बात करें तो कानपुर एयरपोर्ट और खजुराहो एयरपोर्ट नजदीक है।

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