शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत को मानहानि केस में जमानत मिल गई है। मुंबई की एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उन्हें मेधा सोमैया द्वारा दायर मानहानि केस में दोषी ठहराया था। लेकिन राउत की सजा को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया, जिससे संजय राउत को अपील करने का समय मिल गया।
मेधा सौमेया के वकील विवेकानंद गुप्ता ने कहा कि मझगांव की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने संजय राउत को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी पाया था। इसमें उन्हें 15 दिनों की जेल और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी।
इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राउत ने कहा कि भ्रष्टाचार और अन्य गुनाहों के खिलाफ आवाज उठाने वाले हम जैसे लोगों को उस देश में न्याय कैसे मिल सकता है, जहां खुद पीएम गणपति उत्सव के दौरान मुख्य न्यायाधीश के घर जाते हैं।
शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा कि मामले में यह फैसला मुझे अपेक्षित था। इस फैसले को पास करने वाले जज का में दिल से सम्मान करता हूं। लेकिन मैंने जो भी कहा था वह एक आरोप था, वह व्यक्ति( किरीट सौमेया) भी आरोप लगाता रहता है। कोई बात नहीं अगर यह फैसला आया है लेकिन एक बात तो तय है कि देश में न्यायपालिका का केंद्रीकरण हो गया है।
क्या है पूरा मामला
यह मामला भाजपा नेता किरीट सौमेया की पत्नी, ऑर्गेनिक केमिस्ट्री की प्रोफेसर मेधा की शिकायत से जुड़ा हुआ है। राउत के खिलाफ मानहानि का केस दायर करते हुए उन्होंने कहा था कि राउत ने 15 अप्रैल और 16 अप्रैल 2022 को उनके बारे में जो बयान दिये थे, वे अखबारों की हेडलाइन बन गए थे, जो मानहानि कारक और गलत थे। उन्होंने सबूत के तौर पर वीडियो क्लिप्स भी पेश किया और दावा किया कि राउत ने यह बयान मीडिया चैनलों को दिए थे।
कोर्ट के सामने मेधा ने राउत से बिना शर्त माफी मांगने और इस खबर का खंडन करने की मांग की थी, जिससे भविष्य में उनके प्रति अपमानजनक सामग्री प्रकाशित होने से रोकी जा सके।
याचिका में मेधा ने कहा था कि शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे एक लेख में सौमेया पर मीरा भयंदर नगर निगम में शौचालय घोटाले का आरोप लगाया गया था। इसके बाद राउत ने मीडिया प्रतिष्ठानों में भी सौमेया के खिलाफ लगातार झूठे इल्जाम लगाए, यह सारे आरोप दुर्भावना से ग्रसित होकर लगाए गए थे, इनका उद्देश्य केवल यह था कि किसी भी तरह उनके मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचे।