प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर हैं। उन्होंने वाराणसी को इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम की सौगात देते हुए इसका शिलान्यास किया। राजातालाब के पास स्थित गंजारी गांव में बनने वाले स्टेडियम के शिलान्यास के बाद पीएम मोदी ने सबसे पहले राजनारायण जी को याद किया।
पीएम मोदी ने कहा कि यहां से कुछ दूर पर भारतीय लोकतंत्र के प्रखर पुरुष राजनारायण जी का गांव मोती कोट है। इस धरती से आदरणीय राजनारायण जी और उनकी जन्मभूमि को प्रमाण करता हूं। राजनारायण जी देश की राजनीति में ऐसे नाम हैं जिनके साथ कई किवदंतियों के साथ ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हैं। राजनारायण जी को इमरजेंसी का हीरो भी कहा जाता है।
राजनारायण जी ने ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उन्हीं के इलाके रायबरेली में चुनौती दी थी। मामला कोर्ट में पहुंचा और इंदिरा गांधी की जीत को हाईकोर्ट ने रद करते हुए छह साल तक उनके चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लगा दी थी। इसी के बाद देश को इमरजेंसी झेलना पड़ा था। राजनारायण जी को याद कर एक तरह से पीएम मोदी ने बिना कुछ कहे कांग्रेस को इमरजेंसी की याद भी दिला दी है।
एक तरफ जब भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के साथ जुड़े विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की तरफ से लगातार मोदी सरकार पर संविधान और लोकतंत्र को लेकर हमले किए जा रहे हैं, पीएम मोदी का राजनारायण को अचानक यहां आकर याद करना, उन हमलो का जवाब भी माना जा रहा है।
राजनारायण जी को याद कर पीएम मोदी ने समाजवादी पार्टी को भी संदेश देने की कोशिश की है। पीएम मोदी ने यह बता दिया कि आज सपा उस कांग्रेस के साथ खड़ी है जिसे राजनारायण जी जैसे समाजवादी नेता ने इमरजेंसी में उखाड़ फेंका था।
क्या था राजनारायण और इंदिरा गांधी का केस
राजनारायण ने रायबरेली में इंदिरा गांधी के खिलाफ 1971 में चुनाव लड़ा था। वह इंदिरा गांधी से चुनाव हार गए थे। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इंदिरा गांधी पर कई तरह के आरोप लगाए थे। उन्होंने इंदिरा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने यशपाल कपूर को अपना चुनावी एजेंट बनाया जबकि वो अभी भी सरकारी सेवा में थे। उनका इंदिरा पर दूसरा आरोप था कि उन्होंने प्रचार के दौरान चुनावी मंच और लाउडस्पीकर लगाने के लिए सरकार के पीडब्लूडी कर्मचारियों का इस्तेमाल किया।
तब इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जगमोहनलाल सिन्हा ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में इंदिरा गांधी की जीत को अवैध करार दिया था और उनके 6 साल के लिये चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। इस फैसले के बाद देश में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया और इन्दिरा गांधी ने इमरजेंसी की घोषणा कर दी। 1975 से 1977 तक देश में इमरजेंसी रही। इसके बाद हुए चुनाव में इंदिरा गांधी की पार्टी बुरी तरह हार गई। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में नई सरकार बनी और राजनारायण भी जनता पार्टी की उस सरकार में मंत्री बने थे।
राजनारायण संघर्ष का दूसरा नाम थे, लोग हैविवेट पहलवान कहते थे
राजनारायण संघर्ष का दूसरा नाम थे। लोग उन्हें हैविवेट पहलवान भी कहते थे। राजनारायण का वजन करीब 110 किलो हुआ करता था। वह अपने सिर पर हरे रंग का स्कार्फ बांधते थे। सितंबर 1958 में उन्होंने अपने समाजवादी साथियों के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा में ऐसा हंगामा मचाया था कि उनको सदन से निकलवाने के लिए पहली बार हेलमेट लगाए पुलिसकर्मियों को सदन के अंदर बुलाना पड़ा था।
राज नारायण ने अपने साढ़े तीन मन वज़न को ज़मीन पर डाल दिया था और पुलिस वालों को बाक़ायदा उन्हें खींच कर ज़मीन पर घसीटते हुए सदन से बाहर ले जाना पड़ा था। जब वो विधानसभा के मुख्य द्वार तक खींच कर लाए गए, जब तक उनके सारे कपड़े फट चुके थे और उनके शरीर पर सिर्फ एक लंगोट बचा था। तब राजनारायण ऐसे लग रहे थे जैसे किसी हैवी वेट पहलवान को अखाड़े में चित कर दिया गया हो।
एक शिवशक्ति का स्थान चंद्रमा पर और दूसरा काशी में
पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत हर बार की तरह हर-हर महादेव के नारे के साथ की। पीएम मोदी भोजपुरी में अपनी बातें रखते हुए कहा कि एक बार फिर वाराणसी में आवे क मौका मिलल हव। जो आनंद यहां मिलला उसका वर्णन मुश्किल है। पीएम मोदी ने कहा कि आज मैं एक ऐसे दिन काशी आया हूं जब चंद्रमा के शिव शक्ति बिंदु तक पहुंचने का भारत का एक महीना पूरा हो रहा है। शिव शक्ति यानी वो स्थान जहां बीते महीने की 23 तारीख को हमारा चंद्रयान लैंड हुआ था। एक शिव शक्ति का स्थान चंद्रमा पर है और दूसरा स्थान मेरी काशी में है। आज शिवशक्ति के स्थान से शिवशक्ति के उत्थान की आज फिर से बधाई देता हूं।
काशी के लोगों को पीएम मोदी ने मेरे परिवारजनों कह कर पुकारा। कहा कि जिस स्थान पर हम सब इकट्ठा हुए हैं। वह एक पावन स्थल जैसा है। यह स्थान माता विंध्यवासिनी के धाम और काशी को जोड़ने वाले रास्ते का एक पड़ाव है। यहां से कुछ दूर पर भारतीय लोकतंत्र के प्रखर पुरुष राजनारायण जी का गांव मोती कोट है। इस धरती से आदरणीय राजनारायण जी और उनकी जन्मभूमि को प्रमाण करता हूं।