राजस्थान में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में बड़ा बवाल मच गया है। एक तरफ जहां बाकी के राजनीतिक दल वोटरों को साधने में जुटे हैं तो वहीं, कांग्रेस अपने दो सबसे बड़े नेताओं के बीच के विवाद को शांत करने में परेशान सी दिख रही है।
दरअसल, बीते दिनों कांग्रेस नेता सचिन पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठ गए थे। कांग्रेस ने पायलट के इस अनशन को पार्टी विरोधी बताया था। बावजूद, कांग्रेस की ओर से अब तक पायलट के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है। कांग्रेस पायलट को लेकर फूंक-फूंककर कदम रख रही है। वहीं दूसरी ओर पायलट को मनाने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ को भी जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। ऐसे में कांग्रेस की ओर से पायलट को कई ऑफर दिए गए हैं लेकिन पायलट को क्या चाहिए उन्होंने यह साफ पार्टी से बता दिया।
सचिन पायलट और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के बीच का मनमुटाव जगजाहिर है। सीएम गहलोत से यह सवाल पूछते हुए कि ‘पूर्व के भाजपा सरकार में जो करप्शन हुए उनपर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया?’ पायलट एक दिन के अनशन पर बैठ गए। नाराज पायलट को मनाने के लिए बीते दिनों कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ और केसी वेणुगोपाल को पायलट से बातचीत करने को कहा था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कमलनाथ और पायलट के बीच करीब एक घंटे की बातचीत चली। इस बातचीत में कमलनाथ ने पायलट को कई सारे ऑफर दिए।
पायलट को कांग्रेस की ओर से ऑफर
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पायलट को यह ऑफर दिया गया कि उन्हें कांग्रेस कार्यसमिति (Congress Working Committee) में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा कांग्रेस की ओर से उन्हें स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल करने का ऑफर भी दिया गया। कांग्रेस यह नहीं चाहती है कि चुनाव से पहले उसे गहलोत-पायलट विवाद के चलते कोई नुकसान हो। इसके लिए कांग्रेस ने पायलट को दो बड़े ऑफर दिए। कांग्रेस ने पायलट से कहा कि राजस्थान चुनाव में टिकट के बंटवारे में उन्हें बड़ा रोल दिया जाएगा। इसके अलावा कांग्रेस की ओर से एक ऐसा ऑफर भी दिया गया जिसे लेकर पायलट ने साफ मना कर दिया और अपना मंशा भी बता दिया।
मंशा क्या है?
कांग्रेस की ओर से पायलट को दिए गए कई ऑफर में एक ऑफर यह भी था कि उन्हें दिल्ली में कोई बड़ा पद या जिम्मेदारी दी जाएगी। इस ऑफर को पायलट से ठुकरा दिया। सूत्रों के मुताबिक, पायलट ने कहा कि वह राजस्थान छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि कांग्रेस के ऑफर सचिन पायलट को रास नहीं आए। इसके अलावा पायलट से अपनी मंशा भी साफ कर दी। उन्होंने आलाकमान तक यह मैसेज पहुंचा दिया कि उन्हें दिल्ली में कोई रुचि नहीं है।
दरअसल, पायलट-गहलोत मामले को सॉल्व करने का जिम्मा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, कमलनाथ और पायलट के बीच मुलाकात में पायलट ने कहा कि ‘पार्टी में उनकी गरिमा को बहाल की जानी चाहिए।’ इस मीटिंग में कमलनाथ ने पायलट से यह भी पूछा कि उनके और गहलोत के बीच के विवाद को कैसे दूर किया जा सकता है? वहीं सूत्रों से यह भी पता चला कि पायलट के अनशन को पार्टी विरोधी कहे जाने वाली बात से पायलट खासा नाराज है।