तीन राज्यों में कांग्रेस की करारी हार का असर इंडिया गठबंधन में साफ नजर आने लगा। नीतीश कुमार, ममता बनर्जी ने INDIA गठबंधन की मीटिंग में भाग लेने से इनकार कर दिया और इसके बाद मीटिंग को पोस्टपोन करना पड़ गया।
साफ देखा जा सकता है कि इन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद गठबंधन के दूसरे दल मुखर हो गए हैं और वे कांग्रेस के नेतृत्व में आगे बढ़ने को तैयार नहीं हो रहे हैं। अब महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल के आसार बन रहे हैं। महाविकास अघाड़ी में भी कांग्रेस का रुतबा जाहिर तौर पर कम होगा। ऐसे में कई नेता दल बदल भी सकते हैं।
चार राज्यों में से कांग्रेस को केवल तेलंगाना में सफलता मिली। कांग्रेस यहां भी बहुमत के आंकड़े से ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई। वहीं मिजोरम में कांग्रेस को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा गया। ऐसे में अब महाराष्ट्र में भी कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो सकती है और महाविकास अघाड़ी गठबंधन में उसके सीट शेयरिंग फार्मुले पर भी असर दिखाई देगा। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव और अगले साल विधानसभा चुनाव में हो सकता है कि कांग्रेस को कम सीटें ऑफर की जाएं। शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी कांग्रेस से ज्यादा सीटें भी मांग सकती हैं।
सूत्रों का कहना है कि इस साल मई में कर्नाटक में जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस महाराष्ट्र में विदर्भ और मराठवाड़ा इलाके में ज्यादा सीटों पर लड़ने का विचार बना रही थी। हालांकि इस हार के बाद अब दोनों सहयोगी पार्टियां इस बात से इनकार कर सकती हैं। वहीं कुछ कांग्रेस नेता भाजपा में जाने का भी प्लान बना रहे हैं। यह कांग्रेस के लिए कटे पर नमक छिड़कने जैसा होगा। जिस तरह से एनसीपी का एक धड़ा टूटकर, एनडीए में मिल गया, उसी तरह महाराष्ट्र में कांग्रेस का भी हाल हो सकता है।
कुछ कांग्रेस नेताओं का कहना था कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद इसका असर आने वाले चुनावों पर दिखाई देगा। ऐसे में जब राज्यसभा में क्रॉसवोटिंग हुई तो कांग्रेस ने ऐक्शन भी नहीं लिया। अब कहा जा रहा है कि कई क्रॉस वोटिंग करने वाले नेता भाजपा जॉइन करने के मूड में हैं। दूसरी तरफ भाजपा की फायदा हुआ है। तीन राज्यों में जीत के बाद महाराष्ट्र में भी सीट बंटवारे के समय भाजपा का पलड़ा भारी रहेगा।