कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बंपर जीत से कांग्रेस की बल्ले-बल्ले हो गई है। पिछले एक दशक में कई चुनावों में बुरी तरह शिकस्त झेलने वाली कांग्रेस को हिमाचल और फिर कर्नाटक में जीत मिलना किसी बूस्टर डोज से कम नहीं है।
बैक-टू-बैक दो चुनावों में जीतने से विपक्ष में भी कांग्रेस का पलड़ा भारी हुआ है और राहुल गांधी का कद बढ़ा है। कुछ समय पहले तक यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी समेत कई विपक्षी नेताओं के कांग्रेस के साथ आने में हिचकिचाहट हो रही थी। अखिलेश यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने का पहले ही ऐलान कर चुके हैं तो ममता भी ‘एकला चलो’ की भूमिका में हैं। अब राजनीतिक एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि कर्नाटक में जीत के बाद तमाम विपक्षी दल कांग्रेस के साथ गठबंधन में आ सकते हैं।
विपक्षी नेताओं को साथ लाने की जिम्मेदारी नीतीश को
बिहार में एनडीए गठबंधन से अलग होने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्षी दलों को साथ लाने की जिम्मेदारी मिली है। उन्होंने पिछले दिनों कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, नवीन पटनायक से मुलाकात की। इसके अलावा आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल से भी नीतीश कुमार मिले, लेकिन इन सभी मुलाकातों के दौरान यह चर्चाएं चलती रहीं कि क्या ये सभी दल कांग्रेस की छतरी के नीचे आने के लिए तैयार होंगे? विपक्षी नेताओं के बयानों से साफ था कि वे राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करके चुनाव में जाने के पक्ष में नहीं होंगे। लेकिन पहले सांसदी जाने और फिर बंगला खाली करने के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने भी राहुल गांधी का साथ दिया। इसके बाद धीरे-धीरे विपक्ष साथ आने लगा।
कर्नाटक जीत से पूरा विपक्ष दिखा गदगद
इस जीत से भले ही पूरा विपक्ष गदगद हो। अखिलेश यादव से लेकर ममता बनर्जी तक ने बधाई दी है। अखिलेश ने ट्वीट करके कहा है, ”कर्नाटक का संदेश ये है कि भाजपा की नकारात्मक, सांप्रदायिक, भ्रष्टाचारी, अमीरोन्मुखी, महिला-युवा विरोधी, सामाजिक-बँटवारे, झूठे प्रचारवाली, व्यक्तिवादी राजनीति का अंतकाल शुरू हो गया है। ये नये सकारात्मक भारत का महंगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार व वैमनस्य के ख़िलाफ़ सख़्त जनादेश है।” उधर, ममता बनर्जी ने दावा किया कि अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की 100 से भी कम सीटें आएंगी। इसी साल होने वाले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनावों में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा।
…लेकिन नीतीश और ममता के अरमानों पर फिरा पानी?
कर्नाटक की जीत से विपक्षी दलों में उम्मीद जगी है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को एकतरफा बढ़त नहीं है। यदि बेहतर रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरा गया तो कोई बदलाव हो भी सकता है। हालांकि, जहां एक और नीतीश, ममता जैसे नेता कांग्रेस की जीत से खुश हैं, तो व्यक्तिगत तौर पर उनके लिए यह जनादेश किसी झटके से भी कम नहीं है। दरअसल, इन सभी नेताओं के बारे में ये चर्चाएं चलती रहती हैं कि इनकी ख्वाहिश भी प्रधानमंत्री बनने की है। भले ही आधिकारिक रूप से नीतीश कुमार इससे इनकार करते रहे हों, लेकिन माना जाता है कि एनडीए से अलग होकर विपक्ष के साथ आने के पीछे प्रमुख वजह यही है, लेकिन अब कर्नाटक नतीजों से साफ है कि लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों में राहुल गांधी या फिर कांग्रेस का ही दबदबा रहने वाला है। सीट बंटवारे से लेकर पीएम उम्मीदवारी तक में लीडरशिप की भूमिका में कांग्रेस ही करने वाली है। इससे नीतीश, ममता सरीखे नेताओं के अरमानों पर पानी भी फिरता दिखाई दे रहा है। वहीं, चुनावी जीत से राहुल गांधी का भी न सिर्फ कांग्रेस के भीतर, बल्कि पूरे विपक्ष में कद बढ़ गया है। ऐसे में कांग्रेस पीएम उम्मीदवारी के लिए राहुल का भी नाम आगे कर सकती है। मालूम हो कि कांग्रेस के कई दिग्गज नेता पीएम उम्मीदवारी के नाम पर राहुल गांधी के नाम का जिक्र करते रहे हैं। अब यह समय ही बताएगा कि क्या विपक्ष कांग्रेस के नेतृत्व में अगला लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए राजी होता है या कोई नई रणनीति बनाई जाएगी।