कब है कामदा एकादशी? जानें सही डेट, पूजा विधि, शुभ योग, महत्व और अन्य खास बातें
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हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। हर महीने में दो एकादशी आती है, इस तरह साल में कुल 24 एकादशियों का योग बनता है। इन सभी के नाम, महत्व और कथाएं अलग-अलग हैं।

इसी क्रम में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी (Kamda Ekadashi 2023) कहते हैं। इस बार ये तिथि 1 अप्रैल, शनिवार को है। इस दिन कई शुभ योग बनने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए कैसे करें कामदा एकादशी का व्रत, शुभ मुहूर्त, कथा व अन्य खास बातें.

कामदा एकादशी के शुभ योग (Kamda Ekadashi 2023 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 31 मार्च, शुक्रवार की रात 01:58 से 01 अप्रैल की 04:20 तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 1 अप्रैल को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन आश्लेषा नक्षत्र दिन भर रहेगा, जिससे मानस नाम का शुभ योग बनेगा।

इस विधि से करें कामदा एकादशी व्रत-पूजा (Kamada Ekadashi Puja Vidhi)
– एकादशी तिथि से एक दिन पहले यानी 31 मार्च, शुक्रवार की रात को ब्रह्मचर्य का पालन करें और अगली सुबह यानी 1 अप्रैल, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें।
– जैसा व्रत आप करना चाहें, वैसा ही संकल्प लें, जैसे निर्जला या एक समय भोजन वाला। इसके बाद घर में कोई हिस्सा साफ करें और वहां गोमूत्र छिड़कर उसे पवित्र करें। यहां भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें।
– सबसे पहले भगवान को फूलों का हार पहनाएं, कुमकुम से तिलक करें-चावल लगाएं और शुद्ध घी का दीपक लगाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, रोली, चावल, फूल, पान आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
– इसके बाद भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भोग में पंचामृत, फल, खीर या शुद्धापूर्वक घर पर बनाई गई कोई भी चीज चढ़ा सकते हैं। भोग के बाद पहले दीपक आरती और बाद में कपूर आरती करें। प्रसाद बांट दें।
– इस दिन ज्यादा किसी से बात न करें। समंयपूर्वक रहें। संभव हो तो रात्रि जागरण करें और अगले दिन द्वादशी तिथि (2 अप्रैल, सोमवार) को ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद ही स्वयं भोजन करें।

भगवान विष्णु की आरती (Lord Vishnu Aarti)
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ओम जय जगदीश हरे…॥

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