इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा में एमबीए (मीडिया) की छात्रा सानिया यादव को गुरुवार को आयोजित मार्केटिंग मैनेजमेंट की पूरक परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने पूर्व अनुमति के बगैर याची का परिणाम घोषित नहीं करने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने सानिया यादव की याचिका पर अधिवक्ता अवनीश त्रिपाठी व प्रशांत कुमार और विश्वविद्यालय के वकील राहुल चौधरी को सुनकर दिया है। चीफ़ जस्टिस ने पूरक परीक्षा गुरुवार को ही होने के कारण अवकाश में बुधवार को अपने आवास पर मामले की सुनवाई की।
याचिका के अनुसार याची एमबीए (मीडिया) की छात्रा है और वह मार्केटिंग मैनेजमेंट की सभी कक्षाओं में शामिल हुई है लेकिन पोर्टल में तकनीकी खामी के कारण उसकी उपस्थिति अपर्याप्त दर्शाई गई है। याची के अधिवक्ता अवनीश त्रिपाठी का कहना था कि कुछ लोगों के कारण तकनीकी खामी से पोर्टल पर याची की उपस्थिति गलत दर्शाई गई है जबकि उसने सभी कक्षाओं में भाग लिया था और उनकी उपस्थिति 100 प्रतिशत थी।
उन्होंने यह भी कहा कि 16 नवंबर यानी शुक्रवार को मार्केटिंग मैनेजमेंट विषय की पूरक परीक्षा का पेपर है और यह परीक्षा दोपहर दो बजे शुरू होगी। याची को इससे पहले औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी। यदि याची को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाती है तो वह अपने छह बहुमूल्य महीने गवां देगी। कहा गया कि याची को पूरक परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है और यदि याचिका का निर्णय याची के खिलाफ रहा तो वह विश्वविद्यालय को भारी लागत का भुगतान करने का वचन देती है।
विश्वविद्यालय के वकील का कहना कि कार्यालय आज बंद होने के कारण उन्हें पूर्ण निर्देश प्राप्त नहीं हो सके हैं लेकिन उन्हें जो सीमित जानकारी मिली है, उसके हिसाब से इतनी देरी से प्रवेश पत्र जारी नहीं किया जा सकता।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए याची को 16 नवंबर आयोजित होने वाली एमबीए में मार्केटिंग मैनेजमेंट विषय की पूरक परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देते हुए कहा कि परीक्षा का परिणाम न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना घोषित नहीं किया जाएगा और याची का कथन ग़लत पाए जाने पर उसे विश्वविद्यालय को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।