ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे एक बार फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद जारी है. पुराने विश्वनाथ मंदिर के बगल में ज्ञानवापी मस्जिद को किसी मंदिर के ऊपर बनाया गया था या उस जगह कोई मंदिर नहीं था.
हिंदू और मुस्लिम पक्षों में यही विवाद का केंद्र है। सर्वे का काम एएसआई के अधिकारी कर रहे हैं. निचली अदालत से ऊपरी अदालत तक दोनों पक्षों की तरफ से दलील पेश गई थी. हिंदू पक्ष का दावा है कि 17वीं सदी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर मस्जिद बनवाई. हिंदू पक्ष ने अदालत के सामने पक्ष रखा कि सर्वे ही एकमात्र तरीका है जिसके जरिए यह साबित हो सकता है कि मंदिर पर ही मस्जिद बनाई गई.अब यहां सवाल यह है कि आखिर एएसआई इस बात को कैसे तय करेगी कि मंदिर ही था.
खंभों और मस्जिद के पश्चिमी दीवाल का सर्वे
सर्वे टीम पिलर्स यानी खंभो के साथ साथ मस्जिद की पश्चिमी दीवाल को टेस्ट करेगी. इसके लिए रडार सर्वे के जरिए यह पता किया जाएगा कि सतह पर जो स्ट्रक्चर मौजूद है उसके नीचे क्या है. लेकिन यह मस्जिद के तीन गुंबद तक सीमित रहेगा. इसके साथ मस्जिद के कंपाउंड में जितनी भी सेलर्स हैं उन्हें स्कैल किया जाएगा और उस दौरान जो भी कुछ मिलेगा उसकी एक सूची बनाई जाएगी. उन सामनों के एज को तय करने के लिए भी टेस्ट किया जाएगा.
वजूखाना, सर्वे के दायरे से बाहर
मस्जिद के वजूखाना को सर्वे के दायरे से बाहर रथा गया है. बता दें कि हिंदू पक्ष ने इसे शिवलिंग बताया है जबकि मुस्लिम पक्ष फव्वारा बताता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि मस्जिद को किसी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए. यही नहीं विवादित जमीन पर और जितने भी स्ट्रक्चर हैं उन्हें भी नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.