भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का महत्वाकांक्षी सूर्य मिशन अपने लक्ष्य की ओर लंबा सफर तय कर चुका है। आदित्य एल1 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर निगार शाजी ने एक साक्षात्कार के दौरान बताया कि आदित्य अब पृथ्वी से 10 लाख किलोमीटर दूर चला गया है और जनवरी के पहले सप्ताह में ही यह अपने गंतव्य पर पहुंच जाएगा।
बता दें कि एल1 पॉइंट की दूरी पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की है जहां तक आदित्य मिशन को जाना है। हालांकि आगे का पांच लाख किलोमीटर का रास्ता बेहद सावधानी से तय करना है। पृथ्वी और सूर्य दोनों की ओर से लगने वाले गुरुत्वाकर्षण को बैलेंस करके आगे का सफर तय करना होगा।
बता दें कि इसरो ने इससे पहले चंद्रयान को चंद्रमा पर भेजा था। पृथ्वी से चांद की दूरी 3 लाख 84 हजार 400 किलोमीटर के लगभग है। ऐसे में सूर्य मिशन अब तक चंद्रयान से चार गुना ज्यादा दूरी तय कर चुका है। बता दें कि भारत का चंद्रयान – 3 मिशन पूरी तरह से सफल रहा है। उम्मीद थी कि इसे 14 दिन की लूनर नाइट के बाद फिर से जगाया जा सकेगा हालांकि यह संभव नहीं हो पाया। अब लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान भारत के राजदूत के तौर पर चांद पर ही रहेंगे।
निगार ने कहा, ‘हम पहली बार एल1 पर जा रहे हैं। यह एक ऐसा काल्पिनिक पॉइंट है जहां धरती और सूर्य दोनों का गुरुत्वाकर्षण बैलेंस हो जाता है।ऐसे में स्पेसक्राफ्ट को धरती और सूर्य के बीच संतुलन बनाना होता है जो कि चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। यह उसी तरह है जैसे कि पर्वत के शिखर पर किसी गेंद को बैलेंस करना।’ उन्होंने कहा कि स्पेसक्राफ्ट की भी इंजीनियरिंग काफी जटिल है।
इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ऐस्ट्रोफिजिक्स की डायरेक्टर डॉ. अन्नापूर्णी सुब्रमण्यम ने बताया कि आखिर सूर्य के अध्ययन की जरूरत क्यों है। उन्होंने कहा कि यह मिशन सूर्य के कोरोना के तापमान और ऊर्जा के साथ ही इसके गर्म होने की प्रक्रिया और मास इंजेक्शन के बारे में अध्ययन करेगा। इसके अलावा सोलर विंड ग्रहों को प्रभावित करती है। इसके बारे में अध्ययन करना जरूरी है कि आखिर इसका प्रभाव कैसे पड़ता है।