आखिर क्यों हरियाणा में भाजपा ने 10 सीटों पर उतारे दलबदलु नेता, सामने आई ये बड़ी वजह
Sharing Is Caring:

बीजेपी की पहली लिस्ट में 67 उम्मीदवारों के नाम हैं. वहीं इस लिस्ट में 30 फीसदी नए चेहरों को मौका मिला है. इसके अलावा पार्टी ने कई उच्च पदस्थ परिवारों से भी उम्मीदवारों को उम्मीदवार बनाया है. पहली सूची में जातीय समीकरणों का भी ख्याल रखा गया है. इसके साथ ही पार्टी ने 10 साल की सत्ता विरोधी लहर को खत्म करने के लिए 9 विधायकों का टिकट भी काट दिया है.
बता दें कि पार्टी ने अपनी पहली सूची में जातीय समीकरणों का भी पूरा ख्याल रखा है. लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने के लिए पार्टी ने सभी समीकरणों को ध्यान में रखा है. इस बीच, एक बड़ी समस्या विद्रोह और दलबदलू नेता हैं। पार्टी ने 9 दलबदलू नेताओं को भी मौका दिया है. बगावत की एक वजह दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट देना भी है. यह पार्टी के लिए हमेशा घातक रहा है।’

9 दलबदलुओं को बनाया उम्मीदवार
टोहाना सीट से बीजेपी ने जेजेपी के पूर्व विधायक देवेन्द्र बबली को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस से निखिल मदान को उम्मीदवार बनाया गया है. भव्या बिश्नोई पहले ही बीजेपी से उपचुनाव जीत चुकी हैं. श्रुति चौधरी दिग्गज कांग्रेसी और 4 बार के सीएम बंशीलाल के परिवार से हैं। श्रुति चौधरी उनकी पोती हैं। पार्टी ने जेजेपी के रामकुमार गौतम को दोबारा उम्मीदवार बनाया है. पार्टी ने जेजेपी के पवन कुमार को टिकट दिया है. इसके एचजेपी ने शक्तिरानी शर्मा को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है. इनेल के श्याम सिंह राणा को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. जेजेपी के संजय कबलाना को बीजेपी ने टिकट दिया है.

उनके टिकट काटे
इसके साथ ही पार्टी ने बवानी खेड़ा से विशंभर वाल्मिकी, पलवल से दीपक मंगला, फरीदाबाद से नरेंद्र गुप्ता, सोहना से राज्य मंत्री संजय सिंह, रानिया सीट से रणजीत चौटाला, अटेल से सीताराम यादव, पेहवा से संदीप सिंह को टिकट दिया है. रतिया से लक्ष्मण नापा का संपर्क टूट गया है।

दलबदलुओं को टिकट देना पर्याप्त नहीं है
पिछले कई चुनावों के इतिहास पर नजर डालें तो बीजेपी के लिए दलबदलू नेताओं को टिकट देना हमेशा मुश्किल रहा है. पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 50 से ज्यादा टिकट दलबदलू नेताओं को दिए थे, जिसके चलते पार्टी को 80 फीसदी से ज्यादा सीटें गंवानी पड़ीं. ऐसा ही कुछ राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, हिमाचल और एमपी में देखने को मिला है. ऐसे में यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि पार्टी की इस रणनीति में कितना दम है.

Sharing Is Caring:

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version