प्याज की कीमतें बढ़ने की आशंका के मद्देनजर सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। देश में प्याज की उपलब्धता बनाए रखने और उसकी कीमत नियंत्रित रखने के लिए निर्यात पर 40 प्रतिशत की दर से शुल्क लगाने की शनिवार को घोषणा की।
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और यह 31 दिसंबर तक प्रभावी रहेगा। वाणिज्य मंत्रालय के एक बयान में कहा कि घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने इसके निर्यात पर तत्काल प्रभाव से 40 प्रतिशत की दर से निर्यात शुल्क लगा दिया है, जो 31 दिसंबर 2023 तक प्रभावी रहेगा। प्याज पर निर्यात शुल्क लगाने की अधिसूचना राजपत्र में अधिसूचित कर दी गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को अपने बुलेटिन में कहा कि अगस्त में अब तक टमाटर की कीमतों में औसतन और बढ़ोतरी दर्ज की गई है, हालांकि हालिया आंकड़ों से दरों में कुछ गिरावट का संकेत मिलता है। बुलेटिन में कहा गया है कि प्याज और आलू की कीमतों में भी क्रमिक वृद्धि दर्ज की गई। समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि 11 अगस्त को केंद्र सरकार ने अपने बफर स्टॉक से प्याज जारी करना शुरू किया।
सरकार ने फैसला किया था कि वह 2023-24 सीजन में बफर स्टॉक के रूप में 3 लाख टन प्याज रखेगी। 2022-23 में सरकार ने 2.51 लाख टन प्याज बफर स्टॉक के तौर पर रखा है। यदि कम आपूर्ति वाले मौसम के दौरान दरें काफी बढ़ जाती हैं, तो किसी भी आपात स्थिति को पूरा करने और मूल्य स्थिरीकरण के लिए बफर स्टॉक बनाए रखा जाता है।
अप्रैल-जून के दौरान काटी गई रबी प्याज भारत के प्याज उत्पादन का 65 प्रतिशत हिस्सा है और अक्टूबर-नवंबर में खरीफ फसल की कटाई होने तक उपभोक्ता की मांग को पूरा करती है। खरीदे गए स्टॉक को आम तौर पर खुले बाजार की बिक्री के माध्यम से और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और सरकारी एजेंसियों को कम आपूर्ति के मौसम के दौरान खुदरा दुकानों के माध्यम से आपूर्ति के लिए जारी किया जाता है।