यूक्रेन में जारी युद्ध से पहले ही पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। अब रूस ने एक और तगड़ा झटका दिया है। रूस का कहना है वह काला सागर में अपने बंदरगाहों के जरिए यूक्रेनी अनाज को सुरक्षित ले जाने की अनुमति नहीं देगा।
यानी रूस काला सागर अनाज समझौते से हट गया है। काला सागर अनाज समझौता दुनिया के गरीब देशों के लिहाज से काफी अहम माना जाता था। इसी समझौते की बदौलत दुनिया भर में खाद्य कीमतों में ज्यादा उछाल नहीं आया। पिछले साल यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बावजूद दुनिया भर में खाद्य कीमतों पर अंकुश लगाने में मदद करने का श्रेय इसी अनाज समझौते को दिया गया है। रूस और यूक्रेन दुनिया के दो सबसे बड़े कृषि उत्पादक हैं।
क्या है काला सागर अनाज समझौता?
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने बढ़ती महंगाई के बीच दुनिया को वैश्विक खाद्य संकट में डाल दिया। ऑब्जर्वेटरी ऑफ इकोनॉमिक कॉम्प्लेक्सिटी के अनुसार, युद्ध से पहले, 2021 में, रूस और यूक्रेन क्रमशः गेहूं के दुनिया के पहले और पांचवें सबसे बड़े निर्यातक थे। जुलाई 2022 में, संयुक्त राष्ट्र और तुर्की ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, इसके तहत यूक्रेन काला सागर के माध्यम से अनाज निर्यात करने लगा। समझौते के तहत, रूस यूक्रेनी जहाजों को युजनी, ओडेसा और चोर्नोमोर्स्क के उसके बंदरगाहों से बोस्पोरस तक बिना हमला किए सुरक्षित यात्रा करने की अनुमति दे रहा था। इसके साथ रूसी फूड और उर्वरक के शिपमेंट की फैसिलिटी के लिए एक अलग समझौता हुआ। हालांकि, रूस की लंबे समय से शिकायत रही है कि इन निर्यातों से संबंधित समझौते के कुछ हिस्सों को लागू नहीं किया गया है।
31 अक्टूबर को, रूस सेवस्तोपोल में अपने काला सागर फ्लीट पर ड्रोन हमलों का हवाला देते हुए अस्थायी रूप से समझौते से खुद को अलग कर लिया। कुछ ही समय बाद, मॉस्को 2 नवंबर को 120 दिनों के लिए समझौते में फिर से शामिल हो गया। मार्च 2023 में, वह सौदे में अपनी भागीदारी को और 60 दिनों के लिए बढ़ाने पर सहमत हुआ। लेकिन अब उसने समझौता तोड़ दिया है।