अडानी समूह के बारे में हिंडनबर्ग की शोध रिपोर्ट की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की समिति का पक्ष लेने संबंधी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के बयान ने जेपीसी जांच की मांग कर रही कांग्रेस के लिए विचित्र स्थिति पैदा कर दी है।
हालांकि, यह पहला मौका नहीं है पवार का रुख सरकार को निशाना बना रहे विपक्ष से अलग दिखाई दे रहा है। पवार ने हाल में एनडीटीवी को दिए साक्षात्कार में कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की तुलना में उच्चतम न्यायालय की समिति अधिक उपयोगी और प्रभावी होगी। हालांकि, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति का जांच का दायरा बहुत सीमित है और यह “प्रधानमंत्री मोदी तथा अरबपति व्यवसायी के बीच गहरी सांठगांठ को सामने नहीं ला सकती।”
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने शनिवार को कहा कि पवार के रुख से महाराष्ट्र के साथ-साथ देशभर में विपक्षी एकता में दरार नहीं आएगी। यह कोई पहला अवसर नहीं है जब पवार ने लगभग छह दशकों के अपने राजनीतिक जीवन में अपने सहयोगियों के साथ-साथ विरोधियों को भी अपने राजनीतिक रुख से परेशान किया हो। ऐसे समय में जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी आक्रामक रूप से दिवंगत हिंदुत्व विचारक वी. डी. सावरकर को निशाना बना रहे हैं, तो पवार का कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सावरकर द्वारा किए गए बलिदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।