देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे जल-प्रलय के पीछे क्लाइमेट चेंज नहीं है, बल्कि एक खास वजह है। मौमस विभाग के मुताबिक यह वजह कुछ वैसी ही है, जिसके चलते 2013 में उत्तराखंड में हिमालयन सुनामी आई थी और केदारनाथ में तबाही मची थी।
इनसैट द्वारा कैद की गई सैटेलाइट तस्वीरें तब और अब के हालात में एकरूपता दिखा रही हैं। गौरतलब है कि नौ जुलाई को दिल्ली में 24 घंटे के अंदर 153 एमएम बारिश हुई थी। इसके पीछे भी उसी खास वजह को जिम्मेदार बताया गया था।
आखिर क्या है यह खास वजह
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भी हिमाचल और उत्तराखंड में भारी बरसात के पीछे इस खास वजह की पुष्टि की है। इसके मुताबिक मॉनसूनी हवाओं का पश्चिमी विक्षोभ से संपर्क हुआ है, जिसने हिमाचल प्रदेश के ऊपर एक ट्रफ रेखा बनाई है। बताया जाता है कि यह संपर्क अगले 24 से 36 घंटे तक बना रह सकता है। आईएमडी के मुताबिक इसके चलते उत्तर पश्चिमी भारत के विभिन्न हिस्सों में जोरदार बारिश हो सकती है। हालांकि इस तरह के हालात भारतीय मॉनसून का हिस्सा हैं, लेकिन यह जो संपर्क बना है वह रेयर है। आईएमडी शिमला के निदेशक सुरेंदर पॉल ने कहा कि मॉनसूनी हवाओं और पश्चिमी विक्षोभ के संपर्क के चलते ही इतनी तेज बारिश हो रही है।