क्या भारतीयों का देश से मोहभंग हो रहा है? हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर के खुलासे ने न केवल संसद बल्कि देशभर में हंगामा मचा दिया है। एस जयशंकर ने जो आंकड़े पेश किए, उनकी मानें तो साल 2022 में रिकॉर्ड 225,620 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी।
यह हाल सिर्फ 2022 का ही नहीं है, 2011 से 2022 तक औसतन 138,620 लोगों ने भारतीयों ने विदेशी नागरिकता अपनाई है। सवाल यह है कि अधिक से अधिक भारतीय अपनी नागरिकता क्यों छोड़ रहे हैं? क्या स्थिति वाकई चिंताजनक है? क्या दोहरी नागरिकता ही इसका इकलौता समाधान है? अगर नहीं तो फिर हल क्या है? यहां हम इन सवालों के जवाब ढूंढेंगे।
हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में आंकड़े पेश किए और जानकारी दी कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीयों की नागरिकता छोड़ने में काफी इजाफा हुआ है। 2011 से 2022 के आंकड़ों से पता लगता है कि भारतीयों का विदेश में सेटल होना और नागरिकता छोड़ने की तरफ काफी झुकाव आया है। पिछले साल 2022 में रिकॉर्ड 2 लाख 25 हजार 620 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी।
सबसे पहले संख्याओं पर नजर डालते हैं-
2011 से 2022 तक पिछले 12 वर्षों में नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की औसत संख्या 138,620 है, जो हर साल 120,000 से 140,000 के बीच है। वहीं, 2022 का साल इस लिहाज से सबसे बुरा रहा। इस वर्ष 225,620 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी। एक्सपर्ट मानते हैं कि इसका एक संभावित कारण कोविड काल के दौरान बैकलॉग को पूरा करना हो सकता है। कोविड के दौरान दुनिया भर में वीजा और नागरिकता आवेदनों की प्रोसेसिंग काफी धीमी हो गई थी। आंकड़ों की डिटेल देरी में मिलना यह वजह हो सकती है। बाद के वर्षों में, बैकलॉग साफ़ होने लगे और आंकड़े सही आने लगे। फिर भी सवाल बरकरार है कि लाखों भारतीय साल-दर-साल नागरिकता क्यों छोड़ रहे हैं?
यदि हम इन संख्याओं को करीब से समझें तो तो पाएंगे कि इनमें एक अन्य प्रवृत्ति भी दिखाई देती है।
2020 के बाद 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी
प्री-कोविड अवधि (2011 से 2019) के दौरान यह आंकड़ा औसत 132,133 था, जो कि कोविड के दौरान और पोस्ट-कोविड (2020-2022) के वक्त 158802 तक पहुंचा। यानी 20% की बढ़ोत्तरी। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कोविड के बाद नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या स्पष्ट रूप से बढ़ रही है।
वजह क्या हो सकती है?
प्री-कोविड काल में भारत से मोह भंग को बढ़ाने वाले मुख्य कारणों में बेहतर आर्थिक संभावनाएं, शिक्षा, जीवन की गुणवत्ता आदि हो सकते हैं। वहीं, पोस्ट कोविड काल में वैश्विक गतिशीलता लोगों को विदेशी नागरिकता लेने के लिए प्रेरित करने वाला एक आवश्यक कारण हो सकता है।
मोहभंग क्यों
जैसा कि हम जानते हैं, भारतीय पासपोर्ट बहुत शक्तिशाली नहीं है। यह केवल लगभग 57 देशों और अधिकतर एशियाई, अफ्रीकी और कैरेबियाई देशों को वीज़ा-मुक्त पहुंच प्रदान करता है। इसके विपरीत यूएस, कनाडा, यूके और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के पासपोर्ट के साथ 150 से अधिक देशों में वीज़ा-मुक्त यात्रा की जा सकती है। चूँकि भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है। जबकि, अन्य देशों में विकल्प दिए जाने पर किसी के भी पास एक साथ दो देशों की नागरिकता लेने का विकल्प है।
दोहरी नागरिकता के फायदे
इन आंकड़ों ने समाज के कुछ वर्गों के बीच इस बात पर बहस छेड़ दी है कि क्या भारत को दोहरी नागरिकता की अनुमति देनी चाहिए ताकि विदेशी नागरिकता लेने वाले भारतीयों को अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ने के लिए मजबूर न होना पड़े। दोहरी नागरिकता या एकाधिक नागरिकता का मतलब है कि आप कानूनी तौर पर एक ही समय में एक से अधिक देशों के नागरिक हैं। उदाहरण के लिए, आप यूके के नागरिक के साथ-साथ यूएस या कनाडा के नागरिक भी हो सकते हैं, क्योंकि ये देश दोहरी नागरिकता की अनुमति देते हैं। एकाधिक नागरिकता का लाभ निश्चित रूप से आपको उन सभी देशों के अधिकार और लाभ मिलते हैं जहां आप नागरिक हैं। एकाधिक या दोहरी नागरिकता का एक अन्य लाभ यह है कि आप एक से अधिक पासपोर्ट रख सकते हैं और इस तरह आप अधिक देशों में वीज़ा-मुक्त यात्रा कर सकते हैं।
भारत में संभव है एक से अधिक नागरिकता?
अब हम इस महत्वपूर्ण प्रश्न पर आते हैं कि क्या भारतीय नागरिकों को दूसरा पासपोर्ट या दोहरी नागरिकता मिल सकती है? भारतीय संविधान भारतीय नागरिक रहते हुए विदेशी नागरिकता रखने की अनुमति नहीं देता है। इसलिए जैसे ही कोई अपनी विदेशी नागरिकता प्राप्त करता है, वह डिफ़ॉल्ट रूप से भारतीय नागरिकता खो देता है। इसके अलावा, भारतीय नागरिकता खोने के बाद उसे अपना पासपोर्ट सरेंडर करना भी अनिवार्य है, अन्यथा जुर्माना लगेगा।
ओसीआई
हालांकि, भारत अपने उन लोगों को विदेशी नागरिकता (ओसीआई) का दर्जा प्रदान करता है जिन्होंने विदेशी नागरिकता ले ली है। ओसीआई कार्ड के माध्यम से प्रदान की जाने वाली यह विशेष स्थिति कई लाभ प्रदान करती है जैसे भारत में आजीवन मुफ्त यात्रा वीजा, भारत में रहने, काम करने, व्यापार करने की स्वतंत्रता, भारत में संपत्ति/संपत्ति का मालिक होना आदि। संक्षेप में, ओसीआई कार्ड धारक भारत के नागरिकों को मिलने वाले अधिकांश लाभों का आनंद ले सकते हैं, सिवाय भारतीय पासपोर्ट के अधिकार, वोट देने या सार्वजनिक पदों पर रहने के अधिकार और कृषि भूमि की खरीद पर प्रतिबंध को छोड़कर।