डिशा के मुख्यमंत्री एवं बीजू जनता दल (बीजद) के प्रमुख नवीन पटनायक कांताभांजी विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लक्ष्मण बाग ने हराया।पार्टी और पटनायक के लिए यह बड़ी क्षति है। वह पिछले 24 साल से ओडिशा के मुख्यमंत्री थे और एक बार भी कोई चुनाव नहीं हारे थे लेकिन इस बार भाजपा की लहर में ना सिर्फ उन्होंने राज्य से अपनी सत्ता गंवाई बल्कि खुद भी अपनी सीट बचा पाने में नाकाम रहे। यह पहला मौका है, जब किसी ने पटनायक को चुनावों में शिकस्त दी है।बता दें कि लोकसभा चुनावं के साथ-साथ ओडिशा विधानसभा के भी चुनाव हुए थे। राज्य विधानसभा में कुल 147 सीटें हैं। इसमें भाजपा को 77 सीटों पर जीत मिलती दिख रही हैं। पटनायक की पार्टी बीजद को 52 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है। कांग्रेस 14 सीट जीतती दिख रही है।बता दें कि ओडिशा में साल 2000 से बीजू जनता दल की सरकार है और नवीन पटनायक तब से लगातार राज्य के मुख्यमंत्री बने हुए थे। उन्होंने 5 मार्च 2000 को पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। शुरुआदी दौर में भाजपा और बीजू जनता दल दोनों दो विधानसभा चुनाव- 2000 और 2004 मिलकर लड़ी थी, तब बीजद ने 68 और भाजपा ने 38 सीटें जीती थीं। साल 2000 में 147 सदस्यीय विधानसभा में 106 सीटें जीतकर दोनों पार्टियों ने पहली बार गठबंधन की सरकार बनाई थी और कांग्रेस को राज्य की सत्ता से बेदखल कर दिया था।2004 के चुनाव में भी भाजपा और BJD ने कुल 93 सीटें जीतीं थीं और दोबारा सत्ता में वापसी की थी लेकिन 2009 के बाद से दोनों की राहें जुदा हो गई थीं। 2009 के असेंबली चुनाव से पहले दोनों की 11 साल की दोस्ती टूट गई थी। इस बार के चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवीन पटनायक और उनकी पार्टी पर काफी हमलावर थी। भाजपा ने वहां चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगा दिया था। लोकसभा चुनावों में भी बीजद की करारी हार हुई है। राज्य में लोकसभा की 21 सीटों में से 19 पर भाजपा और एक-एक पर बीजद और कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।