शुभमन गिल के टेस्ट करियर पर लटकी तलवार, केपटाउन टेस्ट है उनके लिए अहम
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भारतीय टीम के बल्लेबाज शुभमन गिल का टेस्ट करियर फिलहाल के लिए खतरे में पड़ता हुआ नजर आ रहा है। जिस तरह की बल्लेबाजी उन्होंने अब तक टेस्ट क्रिकेट में की है, उससे साफ लगता है कि वे टेस्ट क्रिकेट में फिलहाल तो लंबी रेस के घोड़े लग नहीं रहे।

घर पर टेस्ट सीरीज हो या विदेशी सरजमीं पर, शुभमन गिल का हाल एक जैसा ही रहा। आंकड़ों पर नजर डालें तो आप पाएंगे कि उनका प्रदर्शन औसत से भी नीचे रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि केपटाउन में साउथ अफ्रीका के खिलाफ जो तीसरा टेस्ट मैच है, वह उनके करियर का बहुत ही अहम मुकाबला होगा।

शुभमन गिल के टेस्ट करियर पर नजर डालें तो उनका एवरेज 31 के करीब का है। 19 मैच खेल चुके हैं और 35 बार बल्लेबाजी के लिए भी उतरे हैं। शीर्ष क्रम में वे खेल रहे हैं और ज्यादातर मैच वे ओपन करते हुए या नंबर तीन पर खेले हैं। ऐसे में ये आंकड़े बहुत खराब लगते हैं। पहले भी कई क्रिकेटरों के साथ ऐसा हो चुका है कि उन्होंने घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करके टीम में जगह पाई और बड़े स्तर पर आकर फेल हो गए तो उन्हें कभी मौका नहीं मिला, जिनमें आकाश चोपड़ा, पार्थिव पटेल और वसीम जाफर जैसे बल्लेबाज हैं। कुछ मौजूदा समय के क्रिकेटरों के नाम भी हैं, जो ड्रॉप हो चुके हैं।

खराब फॉर्म और बेकार औसत की वजह से केएल राहुल को भी ड्रॉप किया जा चुका है और मयंक अग्रवाल भी अब टीम का हिस्सा नहीं हैं। मयंक तो फिर भी घरेलू टेस्ट मैचों में अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं, लेकिन शुभमन गिल के साथ ऐसा नहीं है। वे विदेशों में भी उसी औसत के साथ खेल रहे हैं और घरेलू सरजमीं पर भी उनका हाल ऐसा ही है। गिल ने भारत में खेले 8 टेस्ट मैचों की 14 पारियों में एक शतक जड़ा है और कुल 417 रन बनाए हैं। इसमें 2 अर्धशतक शामिल हैं। उनका औसत भारत में 32.08 का है, जबकि विदेश में ये औसत 30.37 का रह जाता है।

भारत के बाहर अब तक खेले 11 मैचों की 21 पारियों में वे एक शतक और 2 ही अर्धशतक जड़ सके हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि विदेशी सरजमीं पर पिछली 9 पारियों में उन्होंने शतक और अर्धशतक तो छोड़ दीजिए एक भी बार 30 का आंकड़ा भी पार नहीं किया है। ऐसे में अगर वे केपटाउन टेस्ट मैच में फ्लॉप हो जाते हैं तो फिर टीम मैनेजमेंट और चयनकर्ताओं को सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा। गिल को अगर स्क्वॉड में रखा भी जाता है तो उनकी जगह प्लेइंग इलेवन में शायद ही पक्की होगी, क्योंकि खिलाड़ी बाहर हैं, जो घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।

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