राजस्थान में बीजेपी एमपी वाला दांव खेला है। बीजेपी ने राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा को सवाई माधोपुर से, सांसद (अलवर) बालकनाथ को तिजारा से, सांसद (अजमेर) भागीरथ चौधरी को किशनगढ़, सांसद (झुंझुनूं) नरेंद्र कुमार को मंडावा, सांसद (राजसमंद) दीया कुमारी को विद्याधर नगर और सांसद (जयपुर ग्रामीण) राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को झोटवाड़ा, सांसद (जालोर-सिरोही) देवजी पटेल को सांचौर से मैदान में उतारा गया है।
खास बात यह है कि वसुंधरा राजे के समर्थक पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत टिकट काट दिया गया है। बता दें किरोड़ी लाल मीना को सवाईमाधोपुर से टिकट दिया गया है। यहां से कांग्रेस के दानिश अबरार विधायक है। किरोड़ी लाल पहले भी सवाई माधोपुर से विधायक रह चुके है। सियासी जानकारों का कहना है कि किरोड़ी लाल के जरिे बीजेपी पूर्वी राजस्थान में वापसी करना चाहती है। विधानसभा चुनाव 2018 में किरोड़ी लाल का किला धराशायी हो गया था। पूर्वी राजस्थान में बीजेपी का करारी हार का सामना करना पड़ा था। ऐसा माना जा है कि बीजेपी किरोड़ी लाल के जरिए पूर्वी राजस्थान में वापसी चाहती है।
41 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी
राजस्थान विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी ने आज पहली लिस्ट जारी कर दी। पहली लिस्ट में बीजेपी ने 41 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। उदयपुरवाटी से राजेंद्र सिंह गुढ़ा के सामने बीजेपी ने उम्मीदवार उतार दिया है। रिटायर्ड आईएएस चंद्रमोहन मीणा को बस्सी (जयपुर) से टिकट दिया गया है।पहली लिस्ट में राजपाल सिंह शेखावत और नरपत सिंह राजवी के नाम नहीं हैं। विद्याधर नगर (जयपुर) से विधायक नरपत सिंह राजवी की जगह सांसद दीया कुमारी और झोटवाड़ा (जयपुर) से पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत की जगह राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को टिकट दिया गया है।2022 में हुए विधानसभा उपचुनाव में सहाड़ा (भीलवाड़ा) से लड़े रतनलाल जाट का टिकट कट गया है। इस बार लादूलाल पितलिया को बीजेपी ने टिकट दिया है। उपचुनाव में पितलिया ने बागी होकर नामांकन भर दिया था लेकिन समझाने के बाद मैदान से हट गए थे। अब पितलिया को टिकट दिया गया है।
डोटासरा के सामने सुभाष महरिया उम्मीदवार
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के सामने बीजेपी ने सीकर के पूर्व सांसद सुभाष महरिया को उम्मीदवार बनाया है। महरिया बीजेपी से कांग्रेस में चले गए थे। हाल ही में वापस भाजपा में लौटे हैं। पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के सामने सुभाष महरिया को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने जातीय समीकणरण साधे हैं। महरिया पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। महरिया का परिवार कांग्रेस का माना जाता रहा है। लेकिन वे बीजेपी से सीकर से सांसद बने और वाजपेयी सरकार में मंत्री बने।