यूपी सरकार ने एक और अफसर पर कार्रवाई की है। फिरोजाबाद में एसडीएम और नायब तहसीलदार सहित 05 अधिकारियों के निलंबन के एक दिन बाद गुरुवार को सीएम योगी ने बांदा के नरैनी में तैनात उप जिलाधिकारी (एसडीएम) विकास यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
विकास यादव पर जनहित के मामलों में लापरवाही, बरतने और पर्यवेक्षणीय उदासीनता बरतने और कदाचार के कारण यह कार्रवाई की गई है। एसडीएम विकास यादव को पदीय दायित्वों के सम्यक निर्वहन में अक्षम पाया गया है, साथ ही शासन की छवि धूमिल करने का भी आरोप उन पर लगा है। निलंबन अवधि के दौरान विकास यादव उप जिलाधिकारी आयुक्त व सचिव, राजस्व परिषद उ.प्र के लखनऊ कार्यालय से संबद्ध रहेंगे।
विभागीय जांच होगी, दायर होगा आरोप पत्र
निलंबन अवधि के दौरान विकास यादव को केवल आधा वेतन मिलेगा और महंगाई भत्ते के भुगतान समेत तमाम सुविधाओं से वंचित रहना होगा। उन्हें अब विभागीय जांच का सामना करना होगा तथा उनके खिलाफ आरोप पत्र भी दायर किया जाएगा।
भूमि घोटाले में एसडीएम, नायब तहसीलदार समेत 19 पर केस
फिरोजाबाद जिले के सिरसागंज तहसील क्षेत्र में हुए करोड़ों के भूमि घोटाले के मामले में आखिरकार पांच अधिकारियों को सस्पेंड करने के बाद 19 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। शासन के आदेश के बाद राजस्व निरीक्षक ने धारा 420, 120 बी, 427 के तहत केस दर्ज कराया है। सिरसागंज तहसील के राजस्व निरीक्षक विशेष कुमार की ओर से कराए गए मुकदमे में बताया कि योगेंद्र कुमार दत्तक पुत्र भगवती कुमारी निवासी रुधैनी ने तहसील सिरसागंज में एक शिकायती पत्र दिया था। इसके आधार पर जांच कराई गई और शासन से विशेष सचिव उप्र शासन नियुक्ति अनुभाग लखनऊ से मिले निर्देशों के क्रम में 19 दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। मुकदमे में शासन ने माना है कि जिस तरह से किसान की भूमि का बंदरबांट कराया गया है वह एक आपराधिक षड्यंत्र था। इसलिए अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अन्य दोषियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने को निर्देशित किया जाता है।