यूपी में अब 65 साल में रिटायर होंगे डॉक्टर, CMO-CMS को देखना होगा मरीज
Sharing Is Caring:

अब सीएमओ-सीएमएस को पद छोड़ सरकारी अस्पतालों में मरीज देखने होंगे। ऐसा तब होगा, तब वे 65 वर्ष तक सरकारी सेवा में रहना चाहेंगे। योगी सरकार ने सरकारी डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष कर दी है।

मगर बढ़ी हुई अवधि में वे किसी प्रशासनिक पद पर नहीं रह सकेंगे। सरकार ने यह लाभ संयुक्त निदेशक (लेवल-4) स्तर तक के चिकित्साधिकारियों को दिया है। इससे ऊपर के संवर्ग वाले चिकित्सक 62 साल में ही सेवानिवृत्त होंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।

संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने यह जानकारी पत्रकारों को दी। अभी तक सरकारी डॉक्टर सेवानिवृत्ति आयु 62 साल है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग को सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने संबंधी एक प्रस्ताव परीक्षण के लिए भेजा था। परीक्षण के बाद प्रादेशिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के संयुक्त निदेशक स्तर (लेवल-4) तक के चिकित्साधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने पर सहमति बनीं थी। जबकि महानिदेशक (लेवल-7), निदेशक (लेवल-6), अपर निदेशक, प्रमुख अधीक्षक, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी (लेवल-5) के चिकित्साधिकारी 62 वर्ष की आयु में ही पूर्व की तरह रिटायर होंगे। चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग ने इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा था।

संयुक्त निदेशक ग्रेड (लेवल-4) के चिकित्साधिकारी जैसे सीएमओ, एसीएमओ, जिला क्षय रोग अधिकारी, प्रधानाचार्य (ट्रेनिंग सेंटर), जिला कुष्ठ रोग अधिकारी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी आदि प्रशासनिक पदों पर कार्यरत चिकित्साधिकारियों को 62 साल की आयु पूरी करते ही इन पदों को छोड़ना होगा। किसी प्रशासनिक दायित्व की जगह उन्हें चिकित्सक के रूप में मरीज देखने होंगे। यदि वे 65 साल तक सेवा देने के इच्छुक नहीं हैं तो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन कर सकते हैं।

इसलिए लिया यह फैसला
असल में सभी संवर्गों के लिए सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने को लेकर चिकित्साधिकारियों में नाराजगी थी। पीएमएचएस एसोसिएशन ने भी इसे लेकर आपत्ति जताई थी। इसके पीछे तर्क यह था कि मौजूदा समय में इन पदों पर कार्यरत लोग ही अगले तीन साल तक बने रहते। ऐसे में पदोन्नति पाने के हकदार तमाम डॉक्टर बिना प्रमोट हुए ही रिटायर हो जाते। ऐसे में राज्य सरकार ने सिर्फ लेवल-4 तक के लोगों की ही सेवानिवृत्ति आयु में 3 साल की वृद्धि की है। इसी लेवल तक के डॉक्टर मरीजों का इलाज भी करते हैं। सरकारी अस्पतालों में सबसे ज्यादा जरूरत भी डॉक्टरों की ही है।

डॉक्टरों की यह है स्थिति
प्रदेश में सरकारी अस्पतालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। मगर डॉक्टरों की कमी है। दरअसल प्रदेश में डॉक्टरों के करीब 19 हजार 400 पद स्वीकृत हैं। मगर सरकारी चिकित्सकों की संख्या तकरीबन 11 हजार 500 है। इनमें से भी डॉक्टर हर साल रिटायर हो रहे हैं। वहीं करीब ढाई हजार डॉक्टर संविदा पर रखे गए हैं।

Sharing Is Caring:

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version