यूपी की सात लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी ओवैसी की पार्टी AIMIM, किसकी बढ़ेंगी मुश्किलें?
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हैदराबाद के भाईजान कहे जाने वाले सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा चुनाव में यूपी से भी ताल ठोकने की तैयारी कर ली है। ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) ने उत्तर प्रदेश में सात सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला कर लिया है।

यह सभी सीटें मुस्लिम बाहुल्य वाली हैं। ओवैसी की पार्टी ने इसके लिए रणनीति भी बना ली है। माना जा रहा है कि ओवैसी के कदम से इंडिया गठबंधन खासकर समाजवादी पार्टी को मुश्किलें हो सकती हैं।

पार्टी के प्रवक्ता आसिम वकार ने साफ कहा कि एआईएमआईएम अखिलेश यादव की संभावित सीट आजमगढ़ पर प्रत्याशी उतारने के साथ ही शिवपाल यादव की बदायूं सीट पर भी उम्मीदवार उतारेगी। इसी तरह सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बेटे की सीट फिरोजाबाद पर भी उम्मीदवार उतारेगी। इसके अलावा संभल, मुरादाबाद, अमरोहा और मेरठ जैसी सीटों पर प्रत्याशी उतारे जाएंगे। ओवैसी की पार्टी ने इंडिया गठबंधन पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है।

इससे पहले एआईएमआईएम उत्तर प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने 20 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव भेजा था। अब सात सीटें फाइनल मानी जा रही हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि असदुद्दीन ओवैसी खुद यूपी से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट में एआईएमआईएम के प्रवक्ता मोहम्मद फरहान साहेब ने कहा कि अभी यह फैसला नहीं हुआ है कि ओवैसी कौन सी सीट से चुनाव लड़ेंगे। कहा कि समाजवादी पार्टी ने उनकी सीटों की मांग नहीं मानी तो ओवैसी यूपी से भी चुनाव लड़ सकते हैं। उनकी पार्टी ने सपा से नगीना, आजमगढ़, संभल, मुरादाबाद और आंवला लोकसभा सीट मांगी है। प्रवक्ता ने कहा कि अगर सपा ने डिमांड नहीं मानी तो न सिर्फ ओवैसी यूपी से चुनाव लड़ेंगे बल्कि 25 और सीटों पर हमारे प्रत्याशी उतरेंगे।

हालांकि एआईएमआईएम यूपी में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है। पार्टी ने 95 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। असदुद्दीन ओवैसी ने दर्जनों रैलियां की थी। फिर भी पार्टी को एक भी सीट हासिल नहीं हो पाई थी।

अब देखना ये होगा कि सपा एआईएमआईएम को भी कोई सीट देती है या वह सपा की मुसीबत बनती है। वैसे अखिलेश यादव और राहुल गांधी वोटों का बंटवारा रोकने के लिए छोटे दलों को एक करना चाहते हैं। सपा ने 80 में से 63 सीटों को अपने पास रखा है। इसमें से आधी सीटों पर प्रत्याशी उतार भी दिया है। ऐसे में ओवैसी की पार्टी की मांग मानना कठिन ही लगता है।

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