मालदीव में मुइज्जू की जीत से चीन की खिलीं बांछें, भारत के खिलाफ ड्रैगन ने फिर उगला जहर
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मालदीव के संसदीय चुनाव में मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी की जीत पर चीन गदगद है। चीन के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने जमकर मुइज्जू की तारीफ की है और भारत के खिलाफ जहर उगला है। ओपीनियन में लिखा गया है कि मालदीव किसी का पक्ष नहीं ले रहा है। वह स्वतंत्र है, यह बात भारत को समझनी चाहिए। बताते चलें कि यह बात किसी से छिपी नहीं है कि मालदीव में मुइज्जू सरकार की चीन के साथ कितनी घनिष्ठता है। जब से मुइज्जू सरकार आई वह लगातार चीन की पिछलग्गू बनी हुई है। चीन के प्रति नजदीकियां दिखाते हुए मुइज्जू सरकार लगातार भारत के खिलाफ जहर उगलती रही है। जिसके लिए उसकी काफी आलोचना भी हुई है। अब चीनी अखबार में एक बार फिर मुइज्जू की जीत के प्रति खुशी दिखाना उनकी मंशा को साफ जाहिर कर रहा है, “मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व वाली पीपुल्स नेशनल कांग्रेस पार्टी ने संसदीय चुनावों में 93 में से 71 सीटें हासिल कर शानदार जीत हासिल की। हालांकि, इस परिणाम से भारत को इस बात से घबराहट हुई है कि मालदीव उससे काफी दूर चला गया है। चीनी विश्लेषकों का कहना है कि मालदीव के संसदीय चुनाव के नतीजे लोगों की इच्छा को दर्शाते हैं। नतीजे इस बात पर जोर देते हैं कि मालदीव के लोग चीन की ओर झुकाव नहीं, बल्कि वे सरकार की स्वतंत्र विदेश नीति का समर्थन कर रहे हैं।”पश्चिमी मीडिया पर भी साधा निशाना
 आगे लिखा गया है, “निस्संदेह, मालदीव संसदीय चुनाव मालदीव के लिए एक आंतरिक मामला है और चीन मालदीव के लोगों द्वारा चुने गए विकल्प का पूरा सम्मान करता है। हालांकि, इन चुनावों को लेकर कुछ ताकतों के इरादे खराब हैं। कुछ पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स ने चुनावों को सनसनीखेज बनाते हुए दावा किया कि चुनाव तथाकथित चीन-भारत भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का परिणाम थे। हालांकि, चीन ने कभी भी मालदीव के संसदीय चुनावों को चीन और अन्य देशों के बीच भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा के रूप में नहीं देखा है।”

मालदीव-भारत की दुश्मनी से गदगद चीन
बताते चलें की पहले मालदीव और भारत के बीच संबंध बेहतर थे। मुइज्जू की सरकार आने के बाद मालदीव ने काफी हद तक चीन से नजदीकियां बढ़ाई हैं। भारत-मालदीव की दोस्ती में आई दरार से चीन काफी खुश है। इस स्तंभ में आगे लिखा गया है कि भारत के नियंत्रण से मुक्त होने और वास्तव में स्वतंत्र देश बनने के मालदीव के फैसले ने भारत की दक्षिण एशियाई आधिपत्यवादी मानसिकता को भारी झटका दिया है। वास्तव में, मुइज्जू ने पिछले साल मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में आंशिक रूप से जीत हासिल की थी क्योंकि मालदीव के आंतरिक मामलों में भारत के दीर्घकालिक दबाव और हस्तक्षेप ने मालदीव के लोगों के बीच मजबूत भारत विरोधी भावना पैदा कर दी थी।

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