महंत राजू दास के बिगड़े बोल, सोनू सूद और सुप्रीम कोर्ट के जजों पर दिया विवादित बयान
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अपने विवादित बयानों के चलते अक्सर सुर्खियों में रहने वाले हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर उन्होंने अपने इस बयान का वीडियो पोस्ट भी किया।ट्वीट पर यह वीडियो उन्होंने जो लिखकर पोस्ट किया है उसमें हम यहां नहीं लिख सकते। वीडियो में वह कांवड़ यात्रियों से कैंप में ही भोजन या प्रसाद लेने की अपील करते नज़र आ रहे हैं। इसमें वह पश्चिम बंगाल में हिंसा और महिलाओं के साथ अभद्रता का मुद्दा उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट से संज्ञान लेने की मांग कर रहे हैं।वीडियो में महंत राजू दास ने कहा- , ‘सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कांवड़ यात्रा पर शुक्रवार तक अपना फैसला उत्तर प्रदेश सरकार को स्थगित करने के लिए कहा है। उसके बाद निर्देश देगी। संविधान के ऊपर हम लोगों को भरोसा है। संवैधानिक प्रक्रिया है कोई दिक्कत नहीं है जो भी वो फैसला करेगी। लेकिन कांवड़ यात्रियों से निवेदन है। आप जो कैंप लगे उसी कैंप में प्रसाद लीजिए, खाना खाइए क्योंकि एक लाख से ऊपर वीडियो जो हम लोगों देखा है वह वीडियो कहीं न कहीं से सनातन आस्था पर कुठाराघात करने वाला है। जूठा कर देना, नाली से फल निकालना, उसमें लघु शंका कर देना, भोजन सामग्री में थूक देना वगैरह, वगैरह, अन्य अनान्य प्रकार के हम लोगों ने जो…… कौम की ऐक्टिविटी देखा है क्योंकि कांवड़ यात्री शुद्धता और स्वच्छता को फॉलो करते हैं, पालन करते हैं और यहां तक कि प्याज-लहसुन तक वर्जित रहता है तो मैंने देखा है कि कहीं-कहीं जो होटलें हैं उन होटलों के मालिक मुस्लिम कौम के हैं लेकिन हिन्दू का रख रखा है। इसके नाते मैं निवेदन करता हूं कांवड़ यात्रियों से कि आप लोग जो कैंप लगे उस कैंप में खा लीजिए बाकि मैं निवेदन करता हूं सुप्रीम कोर्ट से पश्चिम बंगाल में लोग मारे जा रहे हैं। महिलाओं के साथ अभद्रता हो रही है। चाहे वो हिन्दू कौम की हो या मुस्लिम कौम की महिला हो उस पर भी अपनी……. सुप्रीम कोर्ट खोले और उसका भी संज्ञान ले।’बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल, ढाबा, फल और खान-पान की दुकानों पर मालिक का नाम लिखने के योगी आदित्यनाथ सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। कोर्ट ने यूपी के साथ ही एमपी और उत्तराखंड सरकार को भी नोटिस जारी किया है और शुक्रवार 26 जुलाई को इस मामले में अगली सुनवाई होगी। अगली सुनवाई तक किसी भी राज्य में दुकानदारों को अपना या स्टाफ का नाम लिखने की जरूरत नहीं होगी।

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