
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य के अस्पतालों के डॉक्टरों के वेतन में बढ़ोतरी और मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के 12 जूनियर डॉक्टरों का निलंबन खत्म करने की घोषणा की।
बनर्जी ने अलीपुर के धन धान्य ऑडिटोरियम में चिकित्सकों को संबोधित करते हुए प्रशिक्षुओं से लेकर सीनियर तक सभी रैंक के डॉक्टरों के वेतन में 10-15 हजार रुपये और उससे अधिक की बढ़ोतरी की घोषणा की। डिप्लोमा के लिए सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर का वेतन मौजूदा 65 हजार रुपये से बढ़ाकर 80 हजार रुपये, पोस्टग्रेजुएट सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर का वेतन 70 हजार रुपये से बढ़ाकर 85 हजार रुपये और सीनियर पोस्टग्रेजुएट सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर का वेतन एक लाख रुपये प्रति माह कर दिया गया। इंटर्न हाउस स्टाफ और पोस्ट-ग्रेजुएट प्रशिक्षुओं के भत्ते में 10 हजार रुपये प्रति माह की बढ़ोतरी की गई।
बनर्जी ने मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 12 जूनियर डॉक्टरों का निलंबन वापस लेने की भी घोषणा की, जिन्हें छह जनवरी को कथित लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया था। जूनियर डॉक्टरों की लापरवाही से प्रसव के बाद एक महिला की मौत हो गई थी और चार अन्य बीमार हो गयी थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस जांच के दौरान पाया गया कि जूनियर डॉक्टरों की ओर से कथित लापरवाही के कारण यह त्रासदी हुई। उन्होंने कहा, “सरकार ने डॉक्टरों का भविष्य बचाने के लिए निलंबन वापस ले लिया है।”
बनर्जी ने डॉक्टरों को सरकारी अस्पतालों में आठ घंटे की ड्यूटी करने के बाद 30 किलोमीटर के दायरे में निजी प्रैक्टिस करने की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि चिकित्सा पेशेवर मानवता का चेहरा हैं और इसका थोड़ा सा प्रदर्शन करने से मरीजों को बहुत मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी विभागों के हर क्षेत्र में नियुक्तियां विभिन्न अदालती मामलों के कारण प्रभावित हुई हैं, जिनमें चिकित्सा और ओबीसी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल, पूर्व पुलिस कर्मियों और पूर्व सैनिकों को अस्पताल की सुरक्षा में लगाया जा सकता है।
गौरतलब है कि नौ अगस्त 2024 को आरजी कर अस्पताल में 31 वर्षीय महिला चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने कार्यस्थल पर उचित सुरक्षा की मांग की।