बेसब्री से इंतजार…नींद से जागे प्रज्ञान और विक्रम तो भारत के नाम दर्ज हो जाएगा इतिहास
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भारत के चंद्रयान मिशन अभी तक जबर्दस्त ढंग से सफल रहा है। अब इस मिशन में एक और अहम पल का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। यह पल है प्रज्ञान और रोवर विक्रम की नींद का फिर से खुलना। केंद्रीय राज्य मंत्री विज्ञान और प्रौद्योगिकी, डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में संबोधन के वक्त इस बारे में जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 का तीसरा चरण शुरू होने में कुछ ही क्षण बाकी हैं। जितेंद्र सिंह ने कहा कि हम विक्रम और प्रज्ञान के दोबारा ऐक्टिवेट होने का इंतजार कर रहे हैं। अगर एक बार इनकी तरफ से रिस्पांस मिलने लगा तो धरती से संचार स्थापित हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो भारत इस तरह की सफलता पाने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

चंद्रमा पर रात होने से पहले, लैंडर और रोवर दोनों इस महीने की शुरुआत में क्रमशः चार और दो सितंबर को स्लीप मोड में चले गये थे। इसरो यदि चंद्रमा पर सूर्योदय होते ही लैंडर और रोवर को फिर से सक्रिय कर देता है तो चंद्रयान-3 के पेलोड द्वारा एक बार फिर से प्रयोग किये जा सकेंगे। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र, जहां लैंडर और रोवर दोनों स्थित हैं, पर सूर्य की रोशनी फिर से आने और उनके सौर पैनल के जल्द ही चार्ज होने की उम्मीद है। इसरो अब लैंडर और रोवर के साथ फिर से संपर्क स्थापित करने और इन्हें सक्रिय करने का प्रयास कर रहा है।

इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया कि यदि हमारी किस्मत अच्छी रही, तो हमारे लैंडर और रोवर दोनों सक्रिय हो जाएंगे और हमें कुछ और प्रायोगिक डेटा मिलेंगे, जो चंद्रमा की सतह की आगे की जांच के लिए हमारे लिए उपयोगी होंगे। हम 22 सितंबर से होने वाली गतिविधि का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हम लैंडर और रोवर दोनों को सक्रिय करने और कुछ और उपयोगी डेटा प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं। चंद्रमा पर उतरने के बाद, लैंडर और रोवर और पेलोड ने एक के बाद एक प्रयोग किए ताकि उन्हें 14 पृथ्वी दिन (एक चंद्र दिवस) के भीतर पूरा किया जा सके, चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है।

लैंडर और रोवर का कुल वजन 1,752 किलोग्राम है और इन्हें वहां के परिवेश का अध्ययन करने के लिए एक चंद्र दिन की अवधि (लगभग 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालित करने के लिए तैयार किया गया था। इसरो को उम्मीद है कि जब चंद्रमा पर फिर से सूर्योदय होगा तो ये फिर सक्रिय हो जाएंगे और वहां प्रयोग तथा अध्ययन करना जारी रखेंगे। इसरो ने चार सितंबर को कहा था कि सौर ऊर्जा खत्म हो जाने और बैटरी से भी ऊर्जा मिलना बंद हो जाने पर विक्रम, प्रज्ञान के पास ही निष्क्रिय अवस्था में चला जाएगा। उनके 22 सितंबर, 2023 के आसपास सक्रिय होने की उम्मीद है। इसरो ने कहा था कि पेलोड को बंद कर दिया गया और लैंडर के रिसीवर को चालू रखा गया है। भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इतिहास रच दिया था।

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