बाहुबली पूर्व विधायक विजय मिश्र को गायिका से रेप में 15 साल कैद की सजा
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वाराणसी की एक गायिका से दुराचार के मामले में ज्ञानपुर के पूर्व विधायक विजय मिश्र को 15 साल की कठोर सजा मिली है। इसके साथ ही कोर्ट ने अभियुक्त पर एक लाख 10 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है।

शनिवार को दोपहर में जिला मुख्यालय सरपतहां स्थित एमपी/एमएलए कोर्ट के जज सुबोध सिंह ने फैसला सुनाया। उसके बाद कड़ी सुरक्षा में अभियुक्त को आगरा जेल ले जाया गया।

शासकीय अधिवक्ता दिनेश कुमार पांडेय और विनय बिंद ने बताया कि वाराणसी की पीड़िता को ज्ञानपुर के विधायक रहे विजय मिश्र ने 2014 में अपने यहां गाना गाने के लिए बुलाया था। आरोपित विजय मिश्र, बेटा विष्णु मिश्र और पोते विकास मिश्र पर पीड़िता ने गैंगरेप का आरोप लगाते हुए 18 अक्तूबर 2020 को गोपीगंज थाने में तहरीर दी थी। पुलिस ने संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया था। प्रकरण की सुनवाई एमपी/एमएलए कोर्ट के जज सुबोध सिंह के यहां चल रही थी। शुक्रवार को न्यायालय ने विजय मिश्र के बेटे व पोते को मामले में दोष मुक्त कर दिया था जबकि पूर्व विधायक पर आरोप सिद्ध हुए थे।

अधिवक्ताओं ने बताया कि कोर्ट ने शनिवार को आईपीसी की धारा 376(2)(एन) में 15 साल की कठोर सजा व एक लाख रुपये अर्थदंड लगाया है। अर्थदंड जमा न करने पर तीन वर्ष और सजा काटनी होगी। जबकि आईपीसी की धारा 506 में दो साल की सजा, 10 हजार रुपये अर्थदंड लगाया गया है। अर्थदंड अदा न करने पर माह की सजा और भुगतनी होगी। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। मामले में पूर्व में जेल में बिताई गई अवधि दंडादेश में समायोजित की जाएगी।

धनराशि दी जाएगी प्रतिकर के रुप में

न्यायालय ने फैसले में कहा कि दोषसिद्ध अभियुक्त विजय मिश्र पर लगाए गए अर्थदंड की राशि का आधा भाग पीड़िता को प्रतिकर के रुप में दिया जाएगा। दंड प्रक्रिया संहिता धारा 351(1)(बी) के अंतर्गत उसके साथ हुए इस अपराध के कारण आजीविका की हानि के प्रतिकर के रुप में नियमानुसार धनराशि अदा की जाएगी।

अवैध असलहा मामले में हुई थी दो साल की सजा

शस्त्र निस्तरीकरण का आदेश तामील होने के बाद उसे लेकर फरार होने के मामले में भी विजय मिश्र को जिले में पहली बार सजा सुनाई गई थी। विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए कोर्ट, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट साधना गिरी ने दो साल की सजा व जुर्माना अदा करने का फैसला सुनाया था। प्रकरण साल 2011 का था।

शासकीय अधिवक्ता दिनेश कुमार पांडेय ने बताया कि 28 जुलाई 2010 को जिला मजिस्ट्रेट ने रिवाल्वर व राइफल का शस्त्र निरस्त करते हुए उसे थाने के मालखाने में जमा करने का आदेश दिया था। 2011 में शस्त्र निरस्तीकरण आदेश तामीला होने के बाद भी आरोपित विजय मिश्र शस्त्र को लेकर अपने साथ फरार हो गए थे। उस दौरान मामले में गोपीगंज थाने में मुकदमा अपराध संख्या 31/2011 धारा-25/30 शस्त्र अधिनियम व मुकदमा नंबर 803/2011 में पुलिस ने विवेचना करने के बाद कोर्ट में साक्ष्य पेश किया था। कोर्ट ने 17 अक्तूबर 2022 को विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए/अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, ज्ञानपुर ने लंबी बहस के विजय मिश्र को धारा 25 शस्त्र अधिनियम के तहत दो साल की सजा व अर्थदंड लगाया था। मामला ऊपरी अदालत में चल रहा है।

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