संसद में मॉनसून सत्र के दूसरे दिन यानी आज मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया।
इसी के साथ वह लगातार 7 बार बजट पेश करने वाली पहली महिला वित्त मंत्री बन गई हैं। लेकिन बजट में की गई घोषणाओं और प्रावधानों से विपक्ष खुश नहीं है। खास तौर से यूपी के विपक्षी नेताओं ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अलग-अलग बयानों में बजट को लेकर निराशा जताई है। अखिलेश यादव ने कहा कि इस बजट में यूपी के लिए भी नहीं है। जब तक किसानों पर ध्यान नहीं दिया जाता, नौजवानों के लिए पक्की नौकरी का इंतजाम नहीं किया जाता जब तक कोई बड़ा लाभ नहीं होने वाला है। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि इस बजट से कुछ अमीरों और धन्नासेठों को छोड़ किसी के लिए अच्छे दिनों की उम्मीद नहीं।
अखिलेश यादव ने अपने बयान में यूपी की उपेक्षा का आरोप लगाया और कहा कि जो प्रदेश प्रधानमंत्री देता हैं उसके किसानों के लिए क्या प्रावधान किए गए हैं? यदि हम यूपी का ही देख ले तो निवेश की हालत क्या रही होगी और बातें आँकड़ों के हिसाब से बड़ी-बड़ी की जाती है। अगर इनकी प्रोजेक्ट देख लें तो कोई भी समय पर पूरा नहीं हुआ है। सरकार बचानी हो तो अच्छी बात है कि बिहार और आंध्र प्रदेश विशेष योजनाओं से जोड़ा गया है। लेकिन उत्तर प्रदेश जो देश को प्रधानमंत्री देता है क्या वहां के किसानों के लिए कुछ बड़े फ़ैसले हैं? किसान की फसल की पैदावार और क़ीमत के लिए कोई इंतज़ाम हैं? उन्होंने कहा कि पिछली बार कहा गया था मंडी व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए लाखों करोड़ रुपये हैं. अगर वो मजबूत हो गया था तो अब तक किसानों की आय दोगुना हो जानी चाहिए थी। 10 सालों में जो बेरोज़गारी इन्होंने बढ़ाई है उसको कैसे कम करेंगे वो भी आधी-अधूरी नौकरी से? क्या जो आधी अधूरी नौकरी है उसमें आरक्षण होगा? देश का नौजवान पक्की नौकरी चाहता है। जब तक किसान के मसले हल नहीं होंगे और नौजवानों की पक्की नौकरी का इंतजाम नहीं होगा तब तक जनता को कोई बड़ा लाभ नहीं पहुंचेगा।
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा- ‘ संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर कुछ मुट्ठी भर अमीर व धन्नासेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों व उपेक्षित बहुजनों के त्रस्त जीवन से मुक्ति हेतु ’अच्छे दिन’ की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा है।’ उन्होंने आगे लिखा- ‘ देश में छाई जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन तथा यहाँ के 125 करोड़ से अधिक कमजोर तबकों के उत्थान व उनके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के प्रति इस नई सरकार में भी अपेक्षित सुधारवादी नीति व नीयत का अभाव। बजट में ऐसे प्रावधानों से क्या लोगों का जीवन खुश व खुशहाल हो पाएगा?’ मायावती ने आगे लिखा. ‘देश का विकास व लोगों का उत्थान आँकड़ों के भूल भुलैया वाला न हो, बल्कि लोगों को त्रस्त जीवन से मुक्ति के लिए रोजगार के अवसर, जेब में खर्च के लिए पैसे/ आमदनी जैसी बुनियादी तरक्की सभी को मिलकर महसूस भी हो। रेलवे का विकास भी अति-जरूरी। सरकार बीएसपी सरकार की तरह हर हाथ को काम दे।’
केंद्रीय बजट 2024 पर मैनपुरी से सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा, ‘महिलाओं की सुरक्षा को लेकर होना चाहिए था, (बजट में)कुछ भी नहीं है…किचन का ध्यान नहीं रखा गया है क्योंकि सरकार मंहगाई के बारे में कोई कदम नहीं उठाना चाह रही है।’
सपा और बसपा के अलावा कांग्रेस ने भी बजट को निराशाजनक बताया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि यह बजट जनता को भ्रमित करने वाला है। इसमें रोजगार और महंगाई की बात नहीं है।