पाक ने छोड़ दिया कश्मीर राग? चुपचाप गोवा पहुंचे बिलावल भुट्टो, तेवर भी दिखे नरम
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पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भारत आ चुके हैं। वह गुरुवार दोपहर को गोवा पहुंचे, जहां शंघाई सहयोग संगठन की मीटिंग में हिस्सा लेंगे। बीते 12 सालों में यह पहला मौका है, जब पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री भारत आया है।

एससीओ मीटिंग से इतर भारत और पाकिस्तान के नेताओं के बीच कोई बातचीत होगी, इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है। वह गुरुवार को कराची से गोवा पहुंचे और उन्हें ताज एग्जॉटिका फाइव स्टार होटल में ठहराया गया है। पाकिस्तानी मंत्री का स्वागत एयरपोर्ट पर जॉइंट सेक्रेटरी जेपी सिंह ने किया, जो विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान डेस्क का नेतृत्व करते हैं।

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की ओर से गुरुवार शाम को ही एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों के लिए डिनर का आयोजन है। इसके अलावा एक सांस्कृति कार्यक्रम है। इसमें भी बिलावल भुट्टो जरदारी हिस्सा लेंगे। बिलावल भुट्टो के भारत आने को पाकिस्तान के एजेंडे में बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। अब तक उसकी ओर से कश्मीर के मुद्दे की आड़ लेकर अहम मंचों से दूरी बनाई जाती रही थी। वहीं भारत ने आतंकवाद खत्म हुए बिना बातचीत से इनकार किया है। ऐसे में पाकिस्तान का कश्मीर राग छोड़कर भारत आना बड़े बदलाल का संकेत है।

पाकिस्तान से रवाना होने से पहले भुट्टो ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि इस यात्रा से उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा, ‘आज मैं भारत के गोवा जा रहा हूं। यहां मैं पाकिस्तानी डेलिगेशन का नेतृत्व करूंगा, जो एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल हो रहा है।’ उन्होंने कहा कि मेरा भारत जाकर एससीओ में शामिल होना बताता है कि पाकिस्तान इस संगठन को कितना अहम मानता है। हमें उम्मीद है कि सभी देशों से द्विपक्षीय वार्ता होगी और संगठन के साथ भी सार्थक चर्चा होगी।

जयशंकर और बिलावल की मुलाकात का प्लान नहीं

पूरे मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि इस दौरान एस जयशंकर और बिलावल की मुलाकात का कोई कार्यक्रम नहीं है। हालांकि डिनर और सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान दोनों विदेश मंत्री आमने-सामने जरूर आ सकते हैं। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा की ओर से मुंबई आतंकी हमला 2008 में हुआ था। उसके बाद से ही दोनों देशों के बीच कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है। यही नहीं उसके बाद 2019 में पुलवामा अटैक और फिर भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।

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