दो दर्जन से अधिक दलों को साथ लेकर लोकसभा चुनाव के लिए बने ‘इंडिया गठबंधन’ में बिखराव तेज हो गया है। विपक्षी एकता के सूत्रधार रहे नीतीश कुमार और पश्चिमी यूपी के अहम किरदार जंयत चौधरी पाला बदलकर एनडीए के साथ हो लिए तो पश्चिम बंगाल में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी अकेले ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं।
अब आम आदमी पार्टी (आप) ने भी दबाव बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने कांग्रेस को अपनी शर्तें बताते हुए साफ कर दिया है कि मंजूर नहीं किए जाने पर वह भी अकेले चुनाव लड़ने को तैयार है।
क्या हैं केजरीवाल की शर्तें
आम आदमी पार्टी ने मंगलवार को पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी (पीएसी) की बैठक के बाद ऐलान कर दिया कि पंजाब में कांग्रेस से कोई समझौता नहीं होगा। इसके अलावा दिल्ली, गोवा और गुजरात में सीट शेयरिंग का अपना फॉर्मूला भी सुना दिया। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने दिल्ली में कांग्रेस को जहां एक सीट दिए जाने की घोषणा की तो गुजरात में 8 लोकसभा सीटों पर दावा ठोक दिया। पार्टी ने गुजरात में दो और गोवा में एक सीट पर अपने उम्मीदवार का ऐलान भी कर दिया।
जल्दी फैसले की चेतावनी
संदीप पाठक ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए उसे विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिले ‘शून्य’ की याद दिलाते हुए कहा कि कांग्रेस एक भी सीट की हकदार नहीं है, लेकिन गठबंधन धर्म और पार्टी का मान रखते हुए उसे एक सीट दी जा रही है। आम आदमी पार्टी ने साफ किया कि कांग्रेस को यह मंजूर हुआ तो ठीक नहीं तो छह सीटों पर जल्द ही उम्मीदवारों का ऐलान भी कर दिया जाएगा।
क्या कांग्रेस करेगी मंजूर?
‘मोदी सरकार’ के खिलाफ बने मोर्चे के साथ मजबूती के साथ खड़े रहने की बात करने वाले केजरीवाल की पार्टी ने आखिर कांग्रेस के सामने इस तरह की शर्तं क्यों रख दीं? और क्या कांग्रेस को दिल्ली में एक सीट लेकर गुजरात में 8 सीटें देना कबूल होगा? देश की सबसे पुरानी पार्टी की तरफ से सबसे नई राष्ट्रीय पार्टी की ओर से रखे गए समझौते की शर्तों पर कोई रुख जाहिर नहीं किया गया है। लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दिल्ली और गुजरात में आप के ऑफर को कांग्रेस स्वीकार नहीं करेगी। दिल्ली में पार्टी ने जहां कम से कम तीन सीटों की उम्मीद की थी तो गुजरात में आप को एक-दो सीटों से अधिक देना मंजूर नहीं है।
क्या है केजरीवाल की प्रेशर पॉलिटिक्स
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बिहार में जिस तरह नीतीश कुमार और यूपी में आरएलडी ने इंडिया गठबंधन का साथ छोड़ा है उससे कांग्रेस की रणनीति को बड़ा झटका लगा है। भले ही कांग्रेस के प्रवक्ता सोशल मीडिया पर इन बिखराव का कोई असर नहीं होने का दावा करते हैं, लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ अलग है। माना जा रहा है कि मौके की नजाकत का फायदा उठाते हुए आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस पर दबाव बढ़ा दिया है। आम आदमी पार्टी की कोशिश कांग्रेस से अधिक से अधिक सीटें हासिल करना है। हालांकि आगे क्या होगा यह पूरी तरह अब कांग्रेस के रुख पर निर्भर है।