नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने घाटे में चल रही पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस समेत अपने अधिकांश सार्वजनिक उद्यमों का निजीकरण करने का ऐलान किया है।
मंगलवार को इसकी घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि शुरुआत में केवल घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों का ही निजीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल रणनीतिक महत्व वाले सार्वजनिक उद्यमों को निजीकरण प्रक्रिया से बाहर रखने का फैसला किया गया है।
पाकिस्तान ने नई दीर्घकालिक विस्तारित निधि सुविधा (EFF) के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के साथ बातचीत शुरू करने के एक दिन बाद ही निजीकरण पर बड़े कदम की घोषणा की है लेकिन यह उनके लिए बड़ा सिर दर्द बन गया है। उनकी सरकार के दो कैबिनेट मंत्री इस फैसले पर आपस में ही सिर फुटौव्वल की स्थिति में पहुंच चुके हैं।
इनमें से एक हैं उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार जो पाकिस्तान के आर्थिक नीति निर्माण के केंद्र में रहे हैं और दूसरे हैं पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब, जिनका मानना है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अब राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का बोझ नहीं उठा सकती है, इसलिए जल्दी से जल्दी निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। औरंगजेब पीएम शहबाज के करीबी हैं, जबकि इशाक डार, पूर्व प्रधानमंत्री और शहबाज शरीफ के बड़े बाई नवाज शरीफ के करीबी और भरोसेमंद हैं।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, नवाज शरीफ ने अपनी नीतियों को आगे बढ़ाने और अर्थव्यवस्था के सुदृढीकरण की नीति बनाने के लिए सरकार में नंबर दो की हैसियत के तहत डार को उप प्रधानमंत्री बनाया है। लेकिन डार को डर है कि निजीकरण के फैसले से पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। उनका कहना है कि पार्टी पहले से ही संकट झेल रही है और मौजूदा दौर में जब आम आदमी महंगाई से त्रस्त है, गेहूं खरीद में हालिया गड़बड़ियों और बढ़ती ऊर्जा लागत से लोग गुस्से में हैं, तब निजीकरण के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर सकते हैं और ऐसी सूरत में उनकी पार्टी PML-N किसी भी आंदोलन को बर्दाश्त नहीं कर सकेगी।
‘जियो न्यूज’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि रणनीतिक महत्व के उद्यमों के अलावा अन्य सभी उद्यमों का निजीकरण किया जाएगा। इस दौरान उद्यमों के लाभ या घाटे में चलने के आधार पर कोई भी फर्क नहीं किया जाएगा। शरीफ ने कहा कि सरकार का काम कारोबार करना नहीं है, बल्कि व्यापार और निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना सरकार की जिम्मेदारी है।
उन्होंने इस फैसले पर अमल करने के लिए सभी मंत्रालयों को जरूरी कदम उठाने और निजीकरण आयोग के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया। पीएम के इस रुख के बाद अब इस बात की अटकलें लगने लगी हैं कि जब सरकार में मंत्री और पीएम और डिप्टी पीएम ही दो फाड़ हैं तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कैसे पटरी पर लौट पाएगी।