भारत-चीन सीमा पर देश में कभी ‘आखिर’ गांव के नाम से जाना चाहता था। साल दर साल तक बस इस गांव की बस यही पहचान थी, और लोगों की जुबान पर देश का ‘आखिरी’ गांव ही था। लेकिन, समय के बदलाव के साथ ही इस गांव की तकदीर भी बदली।
सालों बाद अब इस गांव को अब देश का ‘पहला’ गांव का दर्जा मिल चुका था।
चिंता की बात यह है कि इस चाहे ‘आखिरी’ हो या ‘पहला’ गांव के नाम से जाना जाता हो, जो नहीं बदला वो इस गांव की तस्वीर। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित ‘माणा’ गांव की यही कहानी है। बदरीनाथ धाम से करीब तीन किमी आगे स्थित माणा देश के प्रथम गांव के रूप में तो घोषित हो गया पर इस गांव में अभी तक बिजली व्यवस्था सुचारु नहीं हो सकी है।
बिजली गुल होने की वजह से ग्रामीणों को अंधेरे में रात काटनी पड़ती है। विदित हो कि बदरीनाथ के कपाट 27 अप्रैल को खुलेंगे पर माणा में अभी तक बिजली सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है। बदरीनाथ के कपाट खुलने के समय गांव में बसे जनजाति के ग्रामीण परम्परा से अपने गांव वापिस आ जाते हैं, लेकिन गांव अंधेरे में डूबा हुआ है।
आपको बता दें कि शीतकाल के लिए बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने पर माणा के लोग गोपेश्वर, घिंघराण के अपने प्रवासी गांवों में आते हैं। शीतकाल में बर्फ होने और आबादी रहित होने के कारण यहां बिजली सप्लाई क्षतिग्रस्त हो जाती है। माणा में बदरीनाथ के कपाट खुलने से पूर्व बिजली और पानी की सप्लाई सुचारु की जाती है।
पर माणा में अभी तक बिजली व्यवस्था सुचारु नहीं होने से गांव घर में अंधेरा है । बिजली न होने से ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बिजली नहीं होने से लोग पीने के पानी को भी तरस रह हैं। बिजली गुल होने की वजह से रात के समय गांव में घनघोर अंधेरा हो जाता है।
ऊर्जा निगम के ईई अमित सक्सेना ने बताया कि 20 अप्रैल को माणा गांव में अत्यधिक बर्फबारी हुई थी। कहा कि बर्फबारी के बाद गांव की बिजली लाइन टूट गई थी। लाइन को ठीक किया जा रहा है। सक्सेना ने कहा कि निगम की पूरी टीम को लाइन ठीक करने में लगाया गया है। जल्द ही माणा गांव में बिजली की सप्लाई सुचारु कर दी जाएगी।
पीएम मोद का है विशेष फोकस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गांव के विकास पर विशेष फोकस है। माणा गांव में सुविधाएं भी जुटाई जा रही हैं। लेकिन, चिंता की बात है कि माणा गांव में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है। बिजली गुल होने की वजह से ग्रामीणों की मुश्किलें भी कई गुना तक बढ़ गई है। बदीरनाथ कपाट के खुलने से ठीक एक दिन पहले गांव में करीब-करीब 30 परिवार तक पहुंच गए हैं।