सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर अपने चुनाव चिह्न छड़ी को पार्टी की शान बताते रहते थे। अब यही शान उनके जी का जंजाल बन गई है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि ओपी राजभर ने अब खुद पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा है कि अपने दिमाग से छड़ी चुनाव चिह्न निकाल दीजिए।शुक्रवार को बलिया के रसड़ा में लोकसभा चुनाव में मिली पार्टी को हार को लेकर आयोजित समीक्षा बैठक में ओपी राजभर ने छड़ी चुनाव चिह्न बदलने को लेकर पार्टी नेताओं की राय भी मांगी। सभी ने हाथ उठाकर इसे बदलने की ओपी राजभर की सलाह का समर्थन भी किया। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर राजभर ऐसा क्यों करना चाह रहे हैं। दो दशक से जिस छड़ी को सुभासपा की शान बताते रहते थे उससे क्यों दूरी बनाना चाहते हैं।
दरअसल इसके पीछे घोसी लोकसभा चुनाव में मिले अनुभव को कारण बताया जा रहा है। घोसी लोकसभा सीट भाजपा ने ओपी राजभर की सुभासपा को दिया था। यहां से राजभर ने अपने बेटे अरविंद राजभर को मैदान में उतारा था। तमाम दावों के बाद भी अरविंद राजभर सपा प्रत्याशी राजीव राय से बड़े मार्जिन से हार गए। इस हार की समीक्षा में पता चला कि घोसी से ही मैदान में उतरीं एक प्रत्याशी लीलावती राजभर को 45 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं।लीलावती राजभर को हॉकी चुनाव चिह्न मिला था। यह चुनाव चिह्न छड़ी से बहुत ज्यादा मिलता जुलता दिखाई दे रहा था। ऐसे में सुभासपा का कहना है कि छड़ी की गफलत में लोगों ने हॉकी के सामने वाला बटन दबाया है। इसी कारण लीलावती को इतने ज्यादा वोट मिल गए हैं। हार की समीक्षा में भी यह बात सामने आई कि लोग छड़ी और हॉकी में कंफ्यूज हुए हैं।सुभासपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अरुण राजभर के मुताबिक हार की समीक्षा में इसका खुलासा होने के बाद पार्टी अब अपना चुनाव चिन्ह बदलने की सोच रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में इस पर राय मांगी है। जल्द ही पार्टी इसके लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखेगी। अनुरोध किया जाएगा कि या तो आयोग चुनावों में इस तरह के एक जैसे मिलते जुलते चुनाव चिन्ह ना आवंटित करे। या फिर सुभासपा का चुनाव चिन्ह छड़ी बदल दिया जाए।