तेलंगाना में मुस्लिम कोटे का गाना, क्यों मची है रार और भाजपा का क्या है प्लान
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तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा खूब जोर पकड़ रहा है। एक तरफ भाजपा सत्ता में आने के बाद यहां से चार फीसदी मुस्लिम आरक्षण खत्म करने की बात कर रही है। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस, बीआरएस और एआईएमआईएम इसको लेकर भाजपा को घेरने की कोशिश में जुटे हैं।

कांग्रेस ने तो अपने घोषणापत्र में अल्पसंख्यकों को आरक्षण की बात कही है। बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लगातार आवाज बुलंद कर रहे हैं कि भाजपा सत्ता में आई तो तेलंगाना में 4 फीसदी मुस्लिम आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं, शाह ने एक रैली में यह भी दावा किया कि यहां पर सरकार बनने के बाद बैकवर्ड क्लास का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। बीते शनिवार को गडवाल में रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहाकि भाजपा के चुनाव जीतने पर तेलंगाना में धर्म आधारित आरक्षण खत्म होगा। वहीं, ओबीसी, एससी और एसटी का कोटा बढ़ेगा। साथ ही अमित शाह ने कांग्रेस और बीआरएस को एंटी-बैकवर्ड क्लास करार दिया।

भाजपा बनाम कांग्रेस
बीते शनिवार को अमित शाह ने हैदराबाद में तेलंगाना के लिए भाजपा का मैनिफेस्टो घोषित किया। इसमें कई मुफ्त योजनाओं के साथ-साथ यूसीसी लागू करने की करने की बात भी कही गई है। भाजपा के चुनावी घोषणापत्र के मुताबिक सत्ता में आने के बाद वह धर्म आधारित आरक्षण हटाएगी, जिसमें 4 फीसदी मुस्लिम आरक्षण भी शामिल है। यह आरक्षण सरकारी नौकरियों और प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में लागू है। इसके मुताबिक मुस्लिम कोटे को ओबीसी, एससी और एसटी में बांट दिया जाएगा। जहां भाजपा मुस्लिम आरक्षण को हटाने की बात कह रही है, वहीं कांग्रेस के सुर बिल्कुल अलग हैं। तेलंगाना कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में अल्पसंख्यकों के लिए खास ऐलान कर रखा है। इसके तहत वार्षिक अल्पसंख्यक कल्याण कोष में 4000 करोड़ रुपए के इजाफे की बात कही है। इसके अलावा पार्टी ने सत्ता में आने के छह महीने के अंदर कास्ट सर्वे कराने की बात भी कही है। माइनॉरिटी डिक्लेरेशन के तहत कांग्रेस ने वादा किया है कि वह सभी बैकवर्ड क्लास, जिसमें अल्पसंख्यक भी शामिल हैं, उनके लिए नौकरी, शिक्षा और सरकारी योजनाओं में उचित आरक्षण देगी।

कांग्रेस, बीआरएस, एआईएआईएम का स्टैंड
अमित शाह ने मुस्लिम कोटा खत्म करने की बात सबसे पहले चेवेला में अप्रैल में आयोजित एक रैली में कही थी। इसके बाद कांग्रेस, बीआरएस और एआईएमआईएम ने उनके ऊपर सुप्रीम कोर्ट की बेंच को नीचा दिखाने तक का आरोप लगाया, जिसके सामने यह मामला पेंडिंग है। तेलंगाना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद अली शब्बीर के मुताबिक तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में नौकरी और शिक्षा में आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े मुसलमानों को चार फीसदी आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के मुताबिक है। उन्होंने कहा है कि 2004 में संयुक्त आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद तत्कालीन वाईएस राजशेखर रेड्डी सरकार द्वारा घोषित 4% मुस्लिम आरक्षण में मुसलमानों में केवल 14 सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समूह शामिल हैं। इनकी पहचान पिछड़ा वर्ग आयोग ने अन्य समुदायों के कोटा को प्रभावित किए बिना की है। शब्बीर ने आरोप लगाया है कि भाजपा नेता जनता को गुमराह करने और सांप्रदायिक घृणा भड़काने के लिए इन बिंदुओं को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं।

ओवैसी ने कही यह बात
वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया है कि शाह की टिप्पणी भाजपा के दोहरे मापदंड को उजागर करती है। उन्होंने कहाकि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पसमांदा जैसे पिछड़े मुसलमानों तक पहुंचने की बात करते हैं और दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्री घोषणा करते हैं कि वे मुस्लिम आरक्षण रद्द कर देंगे। ओवैसी ने आरोप लगाया कि तेलंगाना में मुस्लिम विरोधी नफरत फैलाने वाले भाषणों के अलावा भाजपा और दे भी क्या सकती है? उन्होंने कहाकि इसके बजाय भाजपा नीत केंद्र को कुल 50 फीसदी आरक्षण सीमा हटाने के लिए कानूनों में संशोधन करना चाहिए। दूसरी तरफ बीआरएस प्रवक्ता रावुला श्रीधर रेड्डी ने कहाकि शाह का बयान इस बात का एक और संकेत है कि भाजपा किसी भी तरह से सत्ता हथियाने की लालची है। उन्होंने कहाकि अमित शाह ने मुस्लिम कोटा को धार्मिक मुद्दे में बदल दिया है।

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